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जो न समझ सका

jo n samajh saka

रमानाथ अवस्थी

रमानाथ अवस्थी

जो न समझ सका

रमानाथ अवस्थी

और अधिकरमानाथ अवस्थी

    कोई मिला जो समझाता

    आकाश कहाँ से लाता है

    इतने प्यारे-प्यारे तारे

    मीठी आँखों में डूब गए

    कैसे अनगिन आँसू खारे

    कोई मिला जो समझाता

    फूलों को क्यों लाचार किया

    जग में केवल मुस्काने को

    पत्थर को क्यों मिली वाणी

    मन की आकुलता गाने को

    कोई मिला जो समझाता

    कितना जीवित वंशी का स्वर

    जिसको मरण छू पाता है

    रोने की तैयारी में क्यों

    हर एक यहाँ मुस्काता है

    कोई मिला जो समझाता

    धरती पर ऐसे कितने हैं

    दे दूँ जिनको जीवन अपना

    किसको अपनी साँसें गिन दूँ

    बन जाऊँ मैं किसका सपना

    कोई मिला जो समझाता

    स्रोत :
    • पुस्तक : आख़िर यह मौसम भी आया (पृष्ठ 50)
    • रचनाकार : रमानाथ अवस्थी
    • प्रकाशन : राजपाल
    • संस्करण : 1998

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