राधा के लिये श्याम एक दिन
radha ke liye shyam ek din
राधा के लिये श्याम एक दिन, गहना बनाया फूलों का।
छड़े, झड़े, पाज़ेब, कड़े, लौ लच्छा, सजाया फूलों का॥
झांझें, रामझोलें, बचकन्नी, बिछुए, कड़ियाँ और सांकर।
तागड़ी, भाला, चंपाकली, पचलड़ा, सतलड़ा, जुगनी, झूमर॥
चौकी, टीप, गुलूबंद, बटन, कंगन, छल्ले, नौ-नगे सुघर।
तोड़े, बंकड़े, जोड़, कड़ूले, गोप, तोड़ा, तांयत सुंदर॥
चंद्रसैनी, जौ का, पलकों का हार सुहाया फूलों का।
राधा के लिये श्याम एक दिन, गहना बनाया फूलों का॥
मामलकी सोने मूँगों की माला, कंठी, झुमके, झांझन।
पहुंची, पछेली, हँसली, खड़ुए, परीबंद, छन्नी, जोशन॥
रवे, जड़ावे, अंत और हथफूल, नौरतन, चंद्रकिरन।
बरे, आरसी, हमेल, बांके, पोरुए, गजरे और लटकन॥
चूहेदंती और लौंग की पहुंची, छन्न गुंथाया फूलों का।
राधा के लिये श्याम एक दिन, गहना बनाया फूलों का॥
मछली, मुरकी, लौंग, कनौती, नलकी, बिजली, सूहीलट।
पोंगी, नथ, चोबें बुलाक, बंदी बेना, कटियां अनवट॥
बाले बाली, कुंडल, गोशे, दुर्बच्चे, तड़की, झूमट।
बुंदे, पत्ते, कंडे, कुठले, कर्णफूल, चंद्रिका, प्रकट॥
कर सोलह शृंगार हरि, झूला गड़वाया फूलों का।
राधा के लिये श्याम एक दिन, गहना बनाया फूलों का॥
गहना वस्त्र पिन्हाकर प्रभु ने, झूले पर बिठलाय दिया।
फूल का गहना पहन फूल-सी, फूल गई राधिका प्रिया॥
झूम झाम झोंके झकझोरे, झकाझक्क उद्यान किया।
विद्युत घन सम युगलरूप लख, विकसित 'बांकेदास' हिया।
‘राधेश्याम’ छवि लख प्रमुदित मन-छंद सुनाया फूलों का।
राधा के लिये श्याम एक दिन, गहना बनाया फूलों का॥
- पुस्तक : राधेश्याम-विलास (पृष्ठ 28)
- रचनाकार : राधेश्याम कथावाचक
- प्रकाशन : राधेश्याम पुस्तकालय, बरेली
- संस्करण : 1925
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