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मन की मौज सागरसी सो कैसे ठहराऊँ

man kii mauj saagarsii so kaise Thahraa.uu.n

बदरीनारायण चौधरी 'प्रेमघन'

बदरीनारायण चौधरी 'प्रेमघन'

मन की मौज सागरसी सो कैसे ठहराऊँ

बदरीनारायण चौधरी 'प्रेमघन'

और अधिकबदरीनारायण चौधरी 'प्रेमघन'

    मन की मौज सागरसी सो कैसे ठहराऊँ?

    जिसका वारापार नहीं उस दर्या को दिखलाऊँ?

    तुमसे नाजुक दिल को भारी भौंरे मे भरवाऊँ?

    कहो प्रेमघन मन की बातैं कैसे किसे सुनाऊँ?॥

    तिरछी तिउरी देख तुमारी क्योंकर सीस नवाऊँ?

    हौ तुम बड़े खबीस जानकर अनजाना बन जाऊँ?

    हर्फ़ शिकायत जबाँ आए कहीं यह डर लाऊँ?

    कहो प्रेमघन मन की बातैं कैसे किसे सुनाऊँ?॥

    लूट रहे हो भली तरह मैं जानूँ वले छुपाऊँ।

    करते हो अपने मन की मैं लाख चहे चिल्लाऊँ॥

    डाट रहे हो ख़ूब परा परबस मैं गो घबराऊँ।

    कहो प्रेमघन मन की बातैं कैसे किसे सुनाऊँ॥

    स्रोत :
    • पुस्तक : कविता-कौमुदी, दूसरा भाग-हिंदी (पृष्ठ 48)
    • संपादक : रामनरेश त्रिपाठी
    • रचनाकार : बदरीनारायण चौधरी 'प्रेमघन'
    • प्रकाशन : हिंदी-मंदिर, प्रयाग
    • संस्करण : 1996
    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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