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क्यों रुदनमय हो न उसका गान

kyon rudanmay ho na uska gan

गोपालदास नीरज

गोपालदास नीरज

क्यों रुदनमय हो न उसका गान

गोपालदास नीरज

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    क्यों रुदनमय हो उसका गान!

    मृत्यु का ही कर भयंकर

    भग्न छाती पर अरे घर

    पूर्ण जो कर सके अपने हृदय के अरमान।

    क्यों रुदनमय हो उसका गान!

    क्या करेगी शांत उसका

    हृदय-मदिरा की मधुरता

    शांति केवल पा सके जो उर बना पाषाण।

    क्यों रुदनमय हो उसका गान!

    क्या हृदय-अभिलाषा उसकी

    और मधु की प्यास उसकी

    अश्रु से ज्योतित करे जो आँख का सुनसान।

    क्यों रुदनमय हो उसका गान!

    स्रोत :
    • पुस्तक : गीत जो गाए नहींं (पृष्ठ 41)
    • रचनाकार : गोपालदास नीरज
    • प्रकाशन : डायमंड पॉकेट बुक्स
    • संस्करण : 2019

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