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क्यों प्रकाश हँसता है

kyon parkash hansta hai

नरेंद्र शर्मा

नरेंद्र शर्मा

क्यों प्रकाश हँसता है

नरेंद्र शर्मा

और अधिकनरेंद्र शर्मा

    बाती के जलने पर जाने

    क्यों प्रकाश हँसता है?

    मिट्टी के तन दिवला में ही

    ज्योतिर्मय बसता है!

    सूरज की किरणें होती हैं

    सूरज पर न्योछावर,

    बन-बन कर पर्जन्य, बरसते

    रसनिधि सातों सागर!

    मिट्टी कठिन कसौटी, निज को

    जहाँ राम कसता है!

    बाती के जलने पर जाने

    क्यों प्रकाश हँसता है?

    मिट्टी की जड़ता में ही तो

    जमती जड़ भी जग की

    तम का अंतहीन आँचल ही

    ओट किए दीपक की!

    मिट्टी ही आश्रय देती जब

    काल सर्प डँसता है!

    बाती के जलने पर जाने

    क्यों प्रकाश हँसता है?

    स्रोत :
    • पुस्तक : अग्निशस्य (पृष्ठ 95)
    • रचनाकार : नरेंद्र शर्मा
    • प्रकाशन : भारती भंडार
    • संस्करण : 1950

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