जय जयति राज प्रबंध शोधन हेतु बरु बपु धारिनी।
जय जयति भारत की प्रजा उर एकता संचारिनी॥
जय जयति सागर पार लौं निज रूपगुन बिसतारिनी।
जय जयति भगवति काँगरेस असेस मंगल कारिनी॥
उतपत्ति पालन प्रलय आदिक अति अकथ लीला सबै।
सब शक्ति सो सब ठौर सब विधि जो करै सबही फबै॥
नित एक रूप अनेक गुन गनि ब्रह्म विश्व बिहारिनी।
जय जयति भगवति काँगरेस असेस मंगल कारिनी॥
जल पौन औनि अकाश अग्नि इकत्र है परमानु लौं।
अगनित अमित नित दीसहीं, अति तुच्छ कन ते भानु लौं॥
भल अभल आदि अनेक गुणमय एक जग बपु धारिनी।
जय जयति भगवति काँगरेस असेस मंगल कारिनी॥
नव कोटि मूरति आछतहु जब देखिये तब एक हैं।
जिन महँ सबै सुर वृंद तेज़ नितै इकत्र अनेक हैं॥
इमि देवि दुर्गा रूप सों, जग की विपत्ति निवारिनी।
जय जयति भगवति काँगरेस असेस मंगल कारिनी॥
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