जब चले जाएँगे हम लौट के सावन की तरह
jab chale jayenge hum laut ke sawan ki tarah
गोपालदास नीरज
Gopaldas Neeraj
जब चले जाएँगे हम लौट के सावन की तरह
jab chale jayenge hum laut ke sawan ki tarah
Gopaldas Neeraj
गोपालदास नीरज
और अधिकगोपालदास नीरज
जब चले जाएँगे हम लौट के सावन की तरह
याद आएँगे प्रथम प्यार के चुंबन की तरह।
ज़िक्र जिस दम भी छिड़ा उनकी गली में मेरा,
जाने शरमाए वो क्यूँ गाँव की दुल्हन की तरह।
मेरे घर कोई ख़ुशी आती तो कैसे आती?
उम्र-भर साथ रहा दर्द महाजन की तरह।
कोई कंघी न मिली जिससे सुलझ पाती वो,
ज़िंदगी उलझी रही ब्रह्म के दर्शन की तरह।
दाग़ मुझमें है कि तुझमें ये पता तब होगा,
मौत जब आएगी कपड़े लिए धोबन की तरह।
हर किसी शख़्स की क़िस्मत का यही है क़िस्सा,
आए राजा की तरह, जाए वो निर्धन की तरह।
जिसमें इंसान के दिल की न हो धडकन 'नीरज'
शायरी तो है वो अख़बार के कतरन की तरह।
- पुस्तक : बादलों से सलाम लेता हूँ (पृष्ठ 88)
- रचनाकार : गोपालदास नीरज
- प्रकाशन : डायमंड पॉकेट बुक्स
- संस्करण : 2004
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