समाजवाद बबुआ, धीरे-धीरे आई
समाजवाद उनके धीरे-धीरे आई
हाथी से आई
घोड़ा से आई
अँग्रेज़ी बाजा बजाई समाजवाद...
नोटवा से आई
वोटवा से आई
बिड़ला के घर में समाई, समाजवाद...
गांधी से आई
आँधी से आई।
टुटही मड़इयो उड़ाई, समाजवाद...
कांगरेस से आई
जनता से आई
झंडा के बदली हो जाई, समाजवाद...
डालर से आई
रूबल से आई
देसवा के बान्हे धराई, समाजवाद...
वादा से आई
लबादा से आई
जनता के कुर्सी बनाई, समाजवाद...
लाठी से आई
गोली से आई
लेकिन अहिंसा कहाई, समाजवाद...
महंगी ले आई
ग़रीबी ले आई
केतनो मजूरा कमाई, समाजवाद...
छोटका के छोटहन
बड़का के बड़हन
बखरा बराबर लगाई, समाजवाद...
परसों ले आई
बरसों ले आई
हरदम अकासे तकाई, समाजवाद...
धीरे-धीरे आई
चुपे-चुपे आई
अंखियन पर परदा लगाई
समाजवाद उनके धीरे-धीरे आई।
- पुस्तक : समय का पहिया (पृष्ठ 101)
- रचनाकार : गोरख पांडेय
- प्रकाशन : संवाद प्रकाशन
- संस्करण : 2004
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