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भोजपुरिया

bhojapuriya

सूर्यदेव पाठक ‘पराग’

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और अधिकसूर्यदेव पाठक ‘पराग’

    जागऽ जागऽ भइया हो मइया के पूत जागऽ

    आँख खोलऽ भइल विहान भोजपुरिया!

    पूरुब छितिजवा ललकी किरिनियाँ से

    सूरुज भरेला मुसुकान भोजपुरिया!

    कबीरा के सुनि बानी, झूमि-झूमि जाले ज्ञानी,

    पाइ लेले जिनगी के राह भोजपुरिया!

    धरम-करमवाँ के डूबत जहजिया के,

    मिलि गइल सचहूँ के थाह भोजपुरिया!

    जहवाँ फिरंगिया के रंगवा धूमिल भइले,

    कुँवर के सुनि के हुंकार भोजपुरिया!

    डटले से कटले, नाहीं खुदे हट गइले,

    चमकत देखि तेरुआर भोजपुरिया!

    भरल अतुल बल मन बाटे निरमल

    होखे जइसे गंगाजी के धार भोजपुरिया!

    सभ कुछ रहते सहत अइलऽ दुःख काहे

    मान लिहलऽ काहे आपन हार भोजपुरिया!

    भेद-भाव भूलि चलऽ एके साधे मिलि सभे,

    भाई-बहिनी सोरहो करोड़ भोजपुरिया!

    उठ जाई गोड़ छोड़ भागी कठिनइया हो,

    परबत के लेबऽ तू मरोड़ भोजपुरिया!

    हकवा ना मिले कबो रोवला कलपला से,

    कइला से केहू के गोहार भोजपुरिया!

    अपने तकतवा से सिंहवा शिकार करे,

    अपने जुटावेला आहार भोजपुरिया!

    बेरी-बेरि हाथ जोड़ि पइयाँ पड़त बाड़ऽ

    काहे भइलऽ अतना लाचार भोजपुरिया!

    तन-मन-धनवाँ से कूदि जा तू रनवाँ में

    बिना भय होई ना दुलार भोजपुरिया!

    मइया के मुँहवाँ से सीखलऽ जे बोलिया तू

    बोले में करेलऽ काहे लाज भोजपुरिया!

    अपने सपूतवा ना करीहें इज्जतिया त,

    करीहें ना नगर-समाज भोजपुरिया!

    भोजपुरी भसवा अकसवा छूवल चाहे,

    कहवाँ ना धाजा फहरावे भोजपुरिया!

    मोरिशस, सूरीनाम, गुयना ट्रिनीदाद

    फौजी तक धकवा जमावे भोजपुरिया!

    छँटे लागल भइया, बदरिया अन्हरिया के,

    लउकेला साफ आसमान भोजपुरिया!

    फइली धवल यश सगरी धरतिया पर

    दुनिया में होई गुन गान भोजपुरिया!

    समय बीतत जाता, हाली-हाली आगे आवऽ,

    सुनलऽ बिगुल के आवाज भोजपुरिया!

    जगिहें 'पराग' भाग वीर हो विजय होई,

    चढ़ी तहरा मथवा पर ताज भोजपुरिया!

    स्रोत :
    • पुस्तक : अलग-अलग रंग (पृष्ठ 96)
    • रचनाकार : सूर्यदेव पाठक ‘पराग’
    • प्रकाशन : प्रभात कुमार पाठक
    • संस्करण : 2009

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