अभी-अभी एक गीत रचा है तुमको जीते-जीते
abhi abhi ek geet racha hai tumko jite jite
कुमार विश्वास
Kumar Vishwas
अभी-अभी एक गीत रचा है तुमको जीते-जीते
abhi abhi ek geet racha hai tumko jite jite
Kumar Vishwas
कुमार विश्वास
और अधिककुमार विश्वास
अभी-अभी एक गीत रचा है तुमको जीते-जीते
अभी-अभी अमृत छलका है अमृत पीते-पीते
अभी-अभी साँसों में उतरी है साँसों की माया
अभी-अभी होंठों ने जाना अपना और पराया
अभी-अभी एहसास हुआ जीवन, जीवन बोता है
ख़ुद को शून्य बनाना भी कितना विराट होता है
अभी-अभी भर दिए मधुकलश सारे रीते-रीते
अभी-अभी अमृत छलका है अमृत पीते-पीते
अभी-अभी संवाद हुए हैं चाहों में आहों में
अभी-अभी चाँदनी घुली है अंबर की बाँहों में
अभी-अभी पीड़ा ने खोजा सुख का रैनबसेरा
अभी-अभी ‘हम’ होकर पिघला सब कुछ ‘तेरा-मेरा’
अभी-अभी भर गया समंदर नदियाँ पीते-पीते
अभी-अभी अमृत छलका है अमृत पीते-पीते
- पुस्तक : फिर मेरी याद (पृष्ठ 15)
- रचनाकार : कुमार विश्वास
- प्रकाशन : राजकमल प्रकाशन
- संस्करण : 2019
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