Font by Mehr Nastaliq Web

चीते के रचयिता

chite ke rachyita

बहुत बरस पहले की बात है, चार ब्राह्मणों ने भारतवर्ष का भ्रमण करते हुए हर तरह का ज्ञान अर्जित किया। चारों एक-दूसरे को अपनी सिद्धियाँ और गूढ़ विद्याएँ बताना चाहते थे। सो चारों ने जंगल में मिलने का निश्चय किया। वहाँ उन्हें चीते की जाँघ की एक हड्डी मिली। एक ब्राह्मण ने कहा, “मैं इससे चीते का पूरा अस्थिपंजर बना सकता हूँ।” और उसने वह कर दिखाया।

दूसरे ब्राह्मण ने कहा, “मैं इसे त्वचा, माँस और रक्त प्रदान कर सकता हूँ। उसने भी वह कर दिखाया। उनके सामने जीता-जागता-सा धारीदार चीता खड़ा था।

तीसरे ब्राह्मण ने कहा, “तुम्हें पता नहीं मैं क्या कर सकता हूँ! मैं इसमें प्राण डाल सकता हूँ।”

चौथा ब्राह्मण उनकी तरह पोंगा पंडित नहीं था। बोला, “ठहरो! इसकी आवश्यकता नहीं। हमें तुम पर विश्वास है।”

पर तीसरे ब्राह्मण ने कहा, “उस सिद्धि का क्या लाभ जिसे क्रियान्वित किया जाए? अपनी इस सिद्धि का प्रयोग करने का मुझे कभी अवसर नहीं मिला। मैं अभी इसमें प्राण डालता हूँ, तुम देखो तो सही!”

चौथे ब्राह्मण ने कहा, “ठीक है, तुम्हारी मंशा है तो ऐसा ही करो। परंतु पहले मुझे पेड़ पर चढ़ जाने दो!” यह कहकर वह तेज़ी से पास के पेड़ पर चढ़ गया। तीसरे ब्राह्मण ने मंत्र जपना आरंभ किया और लो, चीता जीवित हो गया। जीवन का संचार होते ही चीते ने अंगड़ाई ली और आहार की तलाश में इधर-उधर देखा। उसे तेज़ भूख लगी थी। तीनों ब्राह्मण काँपते हुए एक-दूसरे से सटे खड़े थे। भय से वे जड़ हो गए थे। उनमें भागने की शक्ति ही नहीं बची। चीता उन पर झपटा और मारकर खा गया। पीछे केवल उनकी हड्डियाँ ही बचीं।

यह देखकर पेड़ पर बैठे ब्राह्मण के देवता कूच कर गए। उसका ख़ून जम गया। तीनों को खाकर चीता गुर्राता हुआ जंगल में चला गया तो वह धीरे-धीरे पेड़ से नीचे उतरा और विद्वान मित्रों की अंत्येष्टि का प्रबंध करने के लिए गाँव की ओर चल पड़ा।

स्रोत :
  • पुस्तक : भारत की लोक कथाएँ (पृष्ठ 352)
  • संपादक : ए. के. रामानुजन
  • प्रकाशन : राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, भारत
  • संस्करण : 2001

संबंधित विषय

हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

Additional information available

Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

OKAY

About this sher

Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.

Close

rare Unpublished content

This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

OKAY