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काली नागिन

kali nagin

एक परिवार मे सिर्फ़ भाई-बहन थे। माँ-पिता की मौत के बाद दोनों भाई-बहन भीख माँगकर दुःख-सुख से गुज़ारा करते। एक बार भीख माँगते हुए दोनों एक राज्य में पहुँचे। राजमहल की दीवार पर खिले लौकी के फूल देखकर बहन के मन में लालच आया। वह भाई से बोली, “भाई! लौकी का एक फूल तोड़ देते तो मैं बालों में लगाती। राजा का नौकर यह बात सुनकर तुरंत राजा को बताने के लिए उनके पास गया।

राजा के दरबार में सभा चल रही थी। नौकर वहाँ पहुँचकर राजा को प्रणाम करके बोला, “हुज़ूर! हुज़ूर!

एक कहूँ कि दो कहूँ

चुल्लू भर पानी में डूब जाऊँ

गंजे के सिर पर तेल चिपड़ूँ

चखने को मिला साग गाल में दबाऊँ।

महाराजा का हुक्म हो।”

राजा बोले, “हाँ-हाँ, देखा है तो बोल, पाया तो खा।”

नौकर बोला, “हुज़ूर क्या बोलूँ। एक लड़का और एक लड़की भीख माँगते घूम रहे हैं, बहुत ख़ूबसूरत हैं हुज़ूर। आपके होंठों की सुंदरता उनके पाँव की सुंदरता के समान है।” राजा ने सब सुना। ख़ुद जाकर देख भी आए। सच ही में सोने की तरह उनका तन चमक रहा था। उन लोगों से बात करके सब बात समझ कर भाई से बोले, “सुनो, तुम्हारी बहन से मैं विवाह करूँगा। वह यहाँ रानी बनकर रहेगी।” वे पेट के लिए तो बहुत कुछ भुगत चुके थे। अब जब मुफ़्त में बहन रानी बन रही है तो फिर वह मना क्यों करे? ऊपर से हाँ-ना करते आख़िर में हामी भरी। उस दिन से दोनों काफ़ी दिन तक ख़ूब मौज-मस्ती में रहे। बहन के रानी बन जाने से भाई का दिल ख़ुशी से भर गया। बहन राजा की छोटी रानी बनी।

कुछ दिन बीत जाने के बाद छोटी रानी गर्भवती हुई। उसी समय राजा को एक दूसरे राज्य में जाना पड़ा। छोटी रानी का भाई राजा के पास जाकर काफ़ी गिड़गिड़ाया, तब राजा ने उसे एक सोने की बाँसुरी देकर कहा, “तू जब भी यह वंशी बजाकर मुझे बुलाएगा, मैं उसी समय तेरे पास पहुँच जाऊँगा।” राजा तब तक निःसंतान थे। बड़ी रानी से बहुत पहले शादी करने के बावजूद वह माँ नहीं बन पाई थी। इसलिए बड़ी रानी के मन में छोटी रानी के प्रति ईर्ष्या का भाव था।

बड़ी रानी ने जैसे ही जाना कि राजा ने छोटी रानी के भाई को सोने की एक बाँसुरी दी है, वह तुरंत उसके पास जा पहुँची। उसके मन में तो अहंकार भरा था। ज़ोर-ज़बरदस्ती लड़के से वंशी छीनकर ले गई और उसे धागे का एक बंडल देकर छोटी रानी के साथ राजमहल से निकाल बाहर करते हुए बोली, “इस धागे के बंडल को खोलते हुए जा, जहाँ यह ख़त्म हो जाएगा, वहाँ तेरी बहन को लड़का पैदा होगा।” बड़ी रानी की ऐसी कठोर बात सुनकर भाई-बहन दोनों दुःखी मन से वहाँ से चल दिए।

चलते-चलते काफ़ी दूर जाने के बाद एक बीहड़ जंगल आया। शेर कहता मैं, भालू कहता मैं। पत्ता भी गिरता तो लगता सूपा गिरा। लकड़ी गिरती तो लगता ओखली गिर रही है। चारों तरफ़ सन्नाटा था। ऐसी एक जगह पर धागे का बंडल ख़त्म हो गया और बहन को वहीं एक लड़का पैदा हुआ। बहन को वहाँ छोड़कर उसके लिए भात लाने भाई राजमहल में गया। मन से तो राजा को अपने पास पाना चाह रहा था, पर बड़ी रानी ने तो वंशी छीन ली था। करे तो क्या करे? मन की बात मन में ही रख ली। रास्ते भर इसी तरह सोचते-सोचते राजमहल जा पहुँचा। बड़ी रानी ने उसे भरपेट खाना खिलाकर, बहन के लिए काली नागिन का ज़हर मिला भात भेज दिया।

भात भरे कटोरे को फटी अँगोछी में बाँधकर ख़ुशी मन से भाई चला। धर्म तो चारों युग में सत् है। बीच रास्ते में एक गाय ने बच्चा जना था। लड़के को काली नागिन का ज़हर मिला भात ले जाते देखकर गाय उसके पीछे दौड़ी और एक लात मारकर भात को गिरा दिया। यह देखकर रोते-रोते भाई बहन के पास पहुँचा। तब उसके पास कुछ नहीं था।

बेचारी बहन करती भी क्या? एक तो बच्चा जनने का दर्द, ऊपर से रोते-रोते उसका बुरा हाल हो गया। कुछ समय बीत जाने के बाद इतना दूर चलने की भूख-थकान से भाई सो गया। तब बहन उसके बाल में से जूँ ढूँढ़ने बैठ गई। ढूँढ़ते-ढूँढ़ते देखा तो उसे चावल का एक दाना बालों के बीच लगा मिला। भूख तो ज़ोर से लगी थी इसलिए उसने चावल का वह दाना खा लिया और तुरंत काली नागिन बनकर पास के तालाब के अंदर चली गई। नवजात बच्चा वहीं पड़ा रहा। भूख लगती तो बच्चा रोता। भाई टहनी-पत्ती से उसे छुपाकर उसकी रखवाली करता। भूख से बच्चा रोता तो भाई गीत गाकर बोलता,

“लौकी का फूल देकर राजा ने किया था ब्याह

बारह महीने तक राजा ने वन में खटाया

झूला क्या झूला बाँस का झूला

तुम्हारा बेटा रो रहा है दूध के लिए।”

पास के तालाब में काली नागिन बनकर रहने वाली बहन गाकर जवाब देती,

“गुच्छे की आड़ में हो जाओ बाबू

पत्र की आड़ में हो जाओ

सूपा जितना बड़ा फन देखकर

काँप जाएगा तेरा तन।”

भाई यह बात सुनकर परे हट जाता और बहन आकर बच्चे को दूध देकर चली जाती।

ऐसे ही गीत गाकर भाई बुलाता और बहन आकर दूध दे जाती। एक-दो दिन नहीं, ऐसा करते एक साल, दो साल बीत गया। एक बार उस देश के राजा उस जंगल से होते हुए जा रहे थे। भाई के ऐसे करुणा भरे गीत को सुनकर उनका मन दया से भर गया। राजा ने वहाँ पहुँचकर असली बात जानी। काली नागिन दूध देने आई तो उसे अपनी तलवार से तीन टुकड़ों में काट दिया। पूँछ और सिर को छोड़कर धड़ को एक बड़ी हाँड़ी में भरकर, तलवार की चोट से मर गई काली नागिन के भाई और बच्चे को अपने साथ लेकर राजा राजमहल पहुँचे। राज्य में पहुँचकर हाँड़ी को छुपाकर असली बात क्या है, सब जाना। असली बात जानकर राजा ग़ुस्से से काँप उठे। बड़ी रानी को मार-पीट कर राजमहल से भगा दिया। बाद में ओझा को बुलाया। ओझा ने टोना-टोटका करके मंत्र द्वारा धूल को हाँड़ी में डाला तो उसके अंदर से छोटी रानी हँसते हुए निकली। अब वह राजा की पटरानी बनकर सुख से समय बिताने लगी। भाई भी बहन के साथ ख़ुश होकर साथ दिन बिताने लगा।

मेरी बात हुई ख़त्म

मैं जा रहा हूँ, नर्ला।

स्रोत :
  • पुस्तक : ओड़िशा की लोककथाएँ (पृष्ठ 117)
  • संपादक : महेंद्र कुमार मिश्र
  • प्रकाशन : राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, भारत
  • संस्करण : 2017
हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

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‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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