बहुत समय पहले की बात है, इंद्रावती नदी के तट पर एक घना वन था। उस वन में एक चिड़िया और एक चिड़वा रहते थे। चिड़िया ने दो अंडे दिए। एक दिन अचानक काले बादल घिर आए और बिजलियाँ तड़कने लगीं। एक बिजली चिड़िया और चिड़वे के घोंसले पर गिरी। आश्चर्य का विषय था कि चिड़िया और चिड़वा अपने दोनों अंडों सहित सुरक्षित बच गए। बादल चले गए बिजलियों का तड़कना भी बंद हो गया। इसके बाद चिड़िया फिर अपने अंडों को सेने लगी।
कई महीने व्यतीत हो गए किंतु अंडे नहीं फूटे और उनमें से चूज़े भी नहीं निकले। तब चिड़िया और चिड़वे को लगा कि उनके अंडे बिजली गिरने के कारण ख़राब हो गए हैं अन्यथा उनमें से बहुत पहले ही चूज़ों को बाहर आ जाना चाहिए था। चिड़िया और चिड़वा दुखी मन से अपने अंडों को घोंसले में छोड़कर वन के दूसरे छोर पर चले गए और वहीं नया घोंसला बनाकर रहने लगे।
इधर कुछ समय बाद चिड़िया के पुराने अंडों में से एक अंडा फूटा और उसमें से चूज़े के बदले एक बछड़ा पैदा हुआ। दस पल बाद दूसरा अंडा फूटा और उसमें से एक बालक पैदा हुआ। बछड़े और बालक ने एक दूसरे को देखा और एक-दूसरे को अपना भाई समझा। दोनों घोंसला छोड़कर पेड़ से नीचे उतर आए। नीचे आकर दोनों खेलने लगे। जब बछड़े को भूख लगी तो उसने घास चर ली और जब बालक को भूख लगी तो उसने फल तोड़कर खा लिए। उन दिनों वन में हिंसक पशु नहीं पाए जाते थे।
इसलिए दोनों भाई निश्चिंत होकर खेलते, घूमते और खाते-पीते। धीरे-धीरे दोनों बड़े हुए। बछड़ा बड़ा होकर एक स्वस्थ, तगड़ा बैल बन गया और बालक एक सुंदर युवक बन गया। वे जैसे-जैसे बड़े हुए वैसे-वैसे उनके बीच भ्रातृ-भावना और बढ़ गई। बैल युवक से दस पल पहले पैदा हुआ था इसलिए वह स्वयं को बड़ा भाई मानता था और युवक की रक्षा एवं देख-भाल करता था। युवक भी बैल को अपना बड़ा भाई मानता था और उसकी बातों का आदर करता था।
एक दिन बैल को लगा कि मेरी खाल मोटी है, मुझ पर धूप, शीत का विशेष प्रभाव नहीं पड़ता है किंतु मेरे छोटे भाई की चमड़ी कोमल है और वह तेज़ धूप में काली पड़ जाती है तथा शीत में ठिठुरने लगती है। अत: छोटे भाई को एक घर बनाकर रहना चाहिए। बैल ने पहले तो अपने छोटे भाई का नाम रखा—ननकू। फिर उसने ननकू से कहा कि तुम चार लकड़ियों पर पत्तों और घास-फूस की छाजन डालकर अपने लिए झोंपड़ी बना लो। ननकू ने बैल का कहना मानते हुए लकड़ियों और घास-फूस से एक नहीं, दो झोपड़ियाँ बनाईं। एक अपने लिए और दूसरी अपने बड़े भाई बैल के लिए। उसे लगा कि यह तो अन्याय होगा कि छोटा भाई झोपड़ी में रहे और बड़ा खुले आकाश के नीचे पड़ा रहे।
बैल ने देखा कि ननकू ने उसके लिए भी झोपड़ी बनाई है तो उसके मन में अपने छोटे भाई के प्रति अत्यधिक प्रेम उमड़ा। तब बैल ननकू की झोपड़ी में गया और उसने अपनी पूँछ से ननकू की झोपड़ी की लकड़ियों को छुआ। पूँछ से छूते ही चमत्कार हो गया। ननकू की झोपड़ी एक सुंदर घर में बदल गई। उस घर में गृहस्थी का पूरा सामान था। किंतु बैल ने अपनी झोपड़ी वैसी ही रहने दी। उसे लगा कि मैं तो बैल हूँ, मुझे घर अथवा गृहस्थी के सामानों का क्या करना? ननकू ने आपत्ति की तो बैल ने उसे समझाया कि—’मुझे झोपड़ी में रहना अच्छा लगता है। फिर तुम्हारा घर तो है ही, जब मन करेगा तो उसमें रह जाया करूँगा।’
ननकू बैल की इच्छा के सामने चुप रहा।
कुछ दिन बाद बैल को लगा कि अब उसके छोटे भाई का विवाह हो जाना चाहिए। यह विचार करके उसने ननकू को विशेष चारा लाने के बहाने वन में एक पोखर के पास भेजा। बैल को पता था कि परियाँ उस पोखर में नहाने आती हैं। ननकू पोखर के किनारे चारा काटने लगा। उसी समय परियाँ पोखर में नहाने आईं। ननकू ने भी परियों को देखा। वह परियों में से एक परी की सुंदरता पर मोहित हो गया। परी भी ननकू पर मोहित हो गई। तब परी ननकू के पास आई।
‘मैं तुम्हारी पत्नी बनकर तुम्हारे साथ जीवन बिताना चाहती हूँ।’ परी ने कहा।
‘इस बारे में मुझे अपने बड़े भाई से पूछना होगा।’ ननकू ने उत्तर दिया।
‘ठीक है, हम तुम्हारे बड़े भाई के पास चलते हैं।’ परी ने कहा।
ननकू और परी बैल के पास पहुँचे। बैल तो प्रतीक्षा ही कर रहा था। उसने तत्काल सहर्ष अनुमति देते हुए दोनों का विवाह करा दिया। ननकू और परी हँसी-ख़ुशी से रहने लगे।
एक दिन एक राजा भटकता हुआ उस ओर आ पहुँचा जहाँ ननकू और बैल रहते थे। राजा ने घने वन के बीच सुंदर घर देखा तो वह चकित रह गया। इतने में उसे परी दिखाई दे गई। परी की सुंदरता देखकर वह मूर्छित होते-होते बचा। वह पानी पीने के बहाने परी के निकट जा पहुँचा। उसने परी से पानी माँगा। परी ने उसे पानी पिलाया।
‘हे सुंदरी, तुम यहाँ अकेली वन में क्यों रह रही हो? तुम्हें तो राजमहल में रहना चाहिए।’ राजा ने परी से कहा।
‘मैं यहाँ अकेली नहीं रहती हूँ। मेरा पति और मेरे जेठ मेरे साथ रहते हैं। रहा राजमहल में रहने का प्रश्न तो जहाँ मेरे अपने लोग रहते हैं वहीं मेरा राजमहल है।’ परी ने उत्तर दिया।
अभी राजा परी से बात कर रही था कि ननकू और बैल भी आ गए। ननकू ने राजा से उसके बारे में पूछताछ की।
‘यह वन मेरे राज्य में ही आता है अत: तुमको मेरी आज्ञा माननी होगी और मेरे लिए सूरज की तरह चमकने वाला लाल पत्थर लाना होगा। यदि तुम लाल पत्थर नहीं ला सकोगे तो मैं तुम्हारी सुंदर पत्नी को अपने साथ ले जाऊँगा।’ राजा ने ननकू को धमकी देते हुए कहा।
‘मुझे आपकी आज्ञा स्वीकार है। मेरे छोटे भाई के बदले मैं आपके लिए सूरज की तरह चमकने वाला लाल पत्थर लाऊँगा।’ ननकू के बदले बैल ने कहा।
‘ठीक है। मैं एक सप्ताह बाद आऊँगा। तब तक तुम लाल पत्थर ले आना।’ यह कहकर राजा चला गया।
राजा के जाने के बाद ननकू चिंतित हो उठा। ‘भैया, तुमने कह तो दिया लेकिन तुम लाल पत्थर लाओगे कहाँ से?’ ननकू ने बैल से पूछा।
‘कहीं से भी लाऊँगा लेकिन लाकर रहूँगा। मेरे रहते हुए तुम दोनों पर कोई आँच नहीं आ सकती है।’ बैल ने कहा।
‘लेकिन मैं तुमको अकेले नहीं जाने दूँगा। मैं भी तुम्हारे साथ चलूँगा।’ ननकू ने कहा।
‘आप दोनों को कहीं जाने की आवश्यकता नहीं है। मुझे पता है कि सूरज की तरह चमकने वाला लाल पत्थर कहाँ मिलेगा, मैं अभी जाकर वो पत्थर ले आती हूँ।’ परी ने कहा।
‘मैं भी तुम्हारे साथ चलूँगा।’ ननकू ने कहा।
‘नहीं, वहाँ परियों के अतिरिक्त और कोई नहीं जा सकता है। आप चिंता न करें, मैं अभी गई और अभी आई।’ यह कहते हुए परी अदृश्य हो गई। दूसरे ही पल जब वह प्रकट हुई तो ननकू और बैल की आँखें चकाचौंध हो गईं। परी के हाथ में सूरज की तरह चमकने वाला लाल पत्थर था। ननकू पत्थर देखकर बहुत ख़ुश हुआ। उसे लगा कि अब राजा उसकी पत्नी को उससे छीन नहीं सकेगा। किंतु बैल समझ गया कि राजा की नीयत में खोट है। लाल पत्थर मिलने पर वह कोई और उपाय करेगा जिससे परी को वह ननकू से छीन सके।
‘ननकू, एक बात ध्यान से सुनो कि जब राजा पूछे कि ये पत्थर कौन लाया तो कहना कि मेरा बड़ा भाई लाया है। उसे असली बात कदापि नहीं बताना।’ बैल ने ननकू से कहा।
सप्ताह भर बाद जब राजा लाल पत्थर लेने आया तो ननकू ने उसे पत्थर दे दिया।
‘ये पत्थर कौन लाया?’ राजा ने ननकू से पूछा।
‘मेरा बड़ा भाई पत्थर लाया है।’ ननकू ने कहा।
राजा ने यह इसलिए पूछा था क्योंकि राजा ने सुन रखा था कि जहाँ यह पत्थर मिलता है वहाँ कोई मनुष्य नहीं जा सकता है। अब ननकू का बड़ा भाई मनुष्य नहीं बैल था अत: राजा क्या कहता?
राजा ने सोचा कि जब तक ये बैल जीवित रहेगा तब तक ननकू की पत्नी प्राप्त नहीं हो सकेगी। इसलिए राजा ने दूसरी युक्ति अपनाई। उसने ननकू से कहा कि तुम्हारा भाई तो बहुत बलशाली है इसलिए मैं चाहता हूँ कि वह मेरे सबसे प्रिय भैंसे के साथ युद्ध करे। यदि वह युद्ध में मेरे भैंसे को हरा देगा तो मैं उसे ढेर सारा ईनाम दूँगा किंतु यदि वह मेरे भैंसे से हार जाएगा तो मैं तुम्हारी पत्नी को अपने साथ ले जाऊँगा।
राजा की बात सुनकर ननकू बहुत दुखी हुआ। उसकी पत्नी परी भी बहुत दुखी हुई। तब बैल ने उन्हें धीरज बँधाया।
‘तुम लोग चिंता मत करो। मैं राजा के उस भैंसे को आसानी से हरा दूँगा।’ बैल ने कहा।
इसके बाद निर्धारित दिन को बैल और भैंसे के बीच युद्ध हुआ। बहुत देर तक युद्ध चला। भैंसे ने बैल को हराने का बहुत प्रयास किया किंतु बैल को युद्ध कला आती थी इसलिए उसने भैंसे को पराजित कर दिया। यह देखकर राजा मन मसोस कर रह गया। उसे ननकू की पत्नी तो मिली नहीं, उस पर बैल को ढेर सारा ईनाम भी देना पड़ा।
अपनी योजना की असफलता पर राजा बौखला उठा। उसने एक गुनिया को बुलाया। गुनिया से उसने कहा कि तुम कोई ऐसी बूटी दो कि जिससे बैल मर जाए और किसी को उसके मरने के कारण का पता भी न चले। गुनिया था राजा का परम भक्त। उसने एक ऐसी बूटी राजा को लाकर दी जिससे बैल को मारा जा सकता था। बूटी पाने के बाद राजा ने ननकू के पास सूचना भेजी कि मैंने अब तक तुम लोगों को बहुत तंग किया है लेकिन अब में तुम लोगों से मित्रता करना चाहता हूँ। इसलिए मैं तुम लोगों के साथ भोजन करना चाहता हूँ।
ननकू था सीधा-सादा। उसने सोचा कि राजा का हृदय परिवर्तन हो गया होगा और वह सचमुच मित्रता करना चाहता होगा। उसने बैल से सलाह लेकर राजा को भोजन पर आमंत्रित किया। बैल जानता था कि राजा बहुत दुष्ट प्रकृति का है। उसका हृदय इतनी आसानी से परिवर्तित नहीं हो सकता है किंतु यदि कोई भोजन करने आना चाहता हो तो भला उसे मना कैसे किया जाए? अत: राजा को आमंत्रित करने के सिवा और कोई उपाय न था।
ननकू का आमंत्रण पाकर राजा ननकू के घर आ पहुँचा। परी ने अपने हाथों से भोजन पकाया। बैल, ननकू और राजा तीनों भोजन करने बैठे। ननकू की सुरक्षा की दृष्टि से बैल राजा और ननकू के बीच बैठ गया। राजा भी यही चाहता था कि बैल उसके पास बैठे। परी ने तीनों के लिए भोजन परोसा। तीनों ने भोजन करना आरंभ किया। दो कौर खाने के बाद राजा ने बैल से कहा, ‘वो देखो, खिड़की के बाहर उस पेड़ पर कितनी सुंदर चिड़िया बैठी है।
राजा की बात सुनकर बैल ने अपना सिर घुमा कर खिड़की के बाहर की ओर देखा।ननकू और परी का ध्यान भी खिड़की की ओर चला गया। इस प्रकार ध्यान बँटाकर राजा ने अपनी थाली बैल की थाली से बदल दी। थाली बदलने से पहले राजा ने अपनी थाली के भोजन में गुनिया की दी हुई बूटी मिला दी थी।
‘हाँ, बुहत सुंदर चिड़िया है। कहते हुए बैल ने वापस अपना सिर घुमाया और भोजन करने के लिए जैसे ही अपनी थाली की ओर देखा तो उसे संदेह हुआ कि यह उसकी थाली नहीं है। दरअसल, बैल की अपनी अलग थाली थी। वह देखने में तो अन्य थालियों जैसी थी किंतु उसने अपनी थाली में एक छोटा-सा निशान लगा रखा था। परी भी बैल के लिए उसी की थाली में भोजन परोसा करती थी। यह बात राजा को पता न थी। बैल ने ध्यान से देखा तो वह जान गया कि उसकी थाली राजा के सामने रखी हुई थी जिसका अर्थ था कि राजा ने उन लोगों का ध्यान बँटाकर बैल की थाली से अपनी थाली बदल ली थी।
अवश्य कोई गड़बड़ है, बैल ने सोचा। बैल चतुर था। उसने राजा से कहा, ‘आज मैंने अपनी पूँछ पर तैल लगाया है जिससे देखिए वह कितनी चमक रही है।’
अब राजा को अपना सिर पीछे घुमाकर बैल की पूँछ की ओर देखना पड़ा। राजा को लगा कि बैल उसकी नक़ल में कुछ दिखाने की चाह में अपनी पूँछ दिखा रहा है। राजा मन ही मन हँसा कि ये मूर्ख नहीं जानता है कि मैंने तो उसे ज़हरीली बूटी देने को इसे चिड़िया दिखाई थी और ये मुझे मेरी नक़ल उतारने के लिए मुझे अपनी पूँछ दिखा रहा है।
‘हाँ, तुम्हारी पूँछ तो आज बहुत चमक रही है।’ राजा ने कहा।
जितनी देर में राजा ने बैल की पूँछ की ओर देखा उतनी देर में बैल ने अपनी थाली राजा की थाली से बदल दी। ये बात राजा को पता नहीं चल पाई। वह स्वाद ले-लेकर भोजन करता रहा। भोजन करने के बाद राजा ने ननकू से विदा ली और अपने महल की ओर चल दिया।
‘मैं कल फिर आऊँगा।’ जाते-जाते राजा ने ननकू से कहा। उसे पता था कि थोड़ी देर में बैल मर जाएगा तब कल उसे ननकू की पत्नी को छीन कर ले जाने से रोकने वाला कोई नहीं रहेगा।
‘चलो, हम राजा का पीछा करते हैं।’ राजा के जाने के बाद बैल ने ननकू से कहा। बैल और ननकू राजा के पीछे-पीछे चल दिए। कुछ दूर जाने पर राजा का सिर चकराने लगा। बूटी अपना प्रभाव दिखाने लगी थी। अब राजा को समझ में आया कि बैल उसकी चालाकी समझ गया था और बैल ने भी उसके साथ वही किया जो राजा बैल के साथ कर रहा था। किंतु राजा अब अपने बचाव के लिए कुछ नहीं कर सकता था। वह भूमि पर गिर पड़ा और दूसरे ही पल उसके प्राण पखेरू उड़ गए।
‘भैया, ये राजा को क्या हुआ?’ ननकू ने आश्चर्यचकित होते हुए बैल से पूछा।
‘जैसी करनी, वैसी भरनी।’ कहते हुए बैल ने ननकू को राजा की दुष्टता के बारे में बताया। इसके बाद दोनों भाई ख़ुशी-ख़ुशी घर लौट आए। परी भी राजा के मरने का समाचार सुनकर बहुत ख़ुश हुई।
कुछ समय बाद परी ने दो बच्चों को जन्म दिया। बैल, ननकू, परी और उसके दोनों बच्चे आनंदपूर्वक रहने लगे।
bahut samay pahle ki baat hai, indravti nadi ke tat par ek ghana van tha. us van mein ek chiDiya aur ek chiDva rahte the. chiDiya ne do anDe diye. ek din achanak kale badal ghir aaye aur bijliyan taDakne lagin. ek bijli chiDiya aur chiDve ke ghonsle par giri. ashcharya ka vishay tha ki chiDiya aur chiDva apne donon anDon sahit surakshit bach ge. badal chale ge bijaliyon ka taDakna bhi band ho gaya. iske baad chiDiya phir apne anDon ko sene lagi.
kai mahine vyatit ho ge kintu anDe nahin phute aur unmen se chuze bhi nahin nikle. tab chiDiya aur chiDve ko laga ki unke anDe bijli girne ke karan kharab ho ge hain anyatha unmen se bahut pahle hi chuzon ko bahar aa jana chahiye tha. chiDiya aur chiDva dukhi man se apne anDon ko ghonsle mein chhoD kar van ke dusre chhor par chale ge aur vahin naya ghonsla banakar rahne lage.
idhar kuch samay baad chiDiya ke purane anDon mein se ek anDa phuta aur usmen se chuze ke badle ek bachhDa paida hua. das pal baad dusra anDa phuta aur usmen se ek balak paida hua. bachhDe aur balak ne ek dusre ko dekha aur ek dusre ko apna bhai samjha. donon ghonsla chhoD kar peD se niche utar aaye. niche aakar donon khelne lage. jab bachhDe ko bhookh lagi to usne ghaas char li aur jab balak ko bhookh lagi to usne phal toD kar kha liye. un dinon van mein hinsak pashu nahin pae jate the.
isliye donon bhai nishchint hokar khelte, ghumte aur khate pite. dhire dhire donon baDe hue. bachhDa baDa hokar ek svasth, tagDa bail ban gaya aur balak ek sundar yuvak ban gaya. ve jaise jaise baDe hue vaise vaise unke beech bhratri bhavna aur baDh gai. bail yuvak se das pal pahle paida hua tha isliye wo svayan ko baDa bhai manata tha aur yuvak ki raksha evan dekh bhaal karta tha. yuvak bhi bail ko apna baDa bhai manata tha aur uski baton ka aadar karta tha.
ek din bail ko laga ki meri khaal moti hai, mujh par dhoop, sheet ka vishesh prabhav nahin paDta hai kintu mere chhote bhai ki chamDi komal hai aur wo tez dhoop mein kali paD jati hai tatha sheet mein thithurne lagti hai. atah chhote bhai ko ek ghar banakar rahna chahiye. bail ne pahle to apne chhote bhai ka naam rakha—nanku. phir usne nanku se kaha ki tum chaar lakaDiyon par patton aur ghaas phoos ki chhajan Dalkar apne liye jhopDi bana lo. nanku ne bail ka kahna mante hue lakaDiyon aur ghaas phoos se ek nahin, do jhopaDiyan banain. ek apne liye aur dusri apne baDe bhai bail ke liye. use laga ki ye to anyay hoga ki chhota bhai jhopDi mein rahe aur baDa khule akash ke niche paDa rahe.
bail ne dekha ki nanku ne uske liye bhi jhopDi banai hai to uske man mein apne chhote bhai ke prati atyadhik prem umDa. tab bail nanku ki jhopDi mein gaya aur usne apni poonchh se nanku ki jhopDi ki lakaDiyon ko chhua. poonchh se chhute hi chamatkar ho gaya. nanku ki jhopDi ek sundar ghar mein badal gai. us ghar mein grihasthi ka pura saman tha. kintu bail ne apni jhopDi vaisi hi rahne di. use laga ki main to bail hoon, mujhe ghar athva grihasthi ke samanon ka kya karna? nanku ne apatti ki to bail ne use samjhaya ki—’mujhe jhopDi mein rahna achchha lagta hai. phir tumhara ghar to hai hi, jab man karega to usmen rah jaya karunga. ’
nanku bail ki ichchha ke samne chup raha.
kuch din baad bail ko laga ki ab uske chhote bhai ka vivah ho jana chahiye. ye vichar karke usne nanku ko vishesh chara lane ke bahane van mein ek pokhar ke paas bheja. bail ko pata tha ki pariyan us pokhar mein nahane aati hain. nanku pokhar ke kinare chara katne laga. usi samay pariyan pokhar mein nahane ain. nanku ne bhi pariyon ko dekha. wo pariyon mein se ek pari ki sundarta par mohit ho gaya. pari bhi nanku par mohit ho gai. tab pari nanku ke paas aai.
‘main tumhari patni bankar tumhare saath jivan bitana chahti hoon. ’ pari ne kaha.
‘is bare mein mujhe apne baDe bhai se puchhna hoga. ’ nanku ne uttar diya.
‘theek hai, hum tumhare baDe bhai ke paas chalte hain. ’ pari ne kaha.
nanku aur pari bail ke paas pahunche. bail to prtiksha hi kar raha tha. usne tatkal saharsh anumti dete hue donon ka vivah kara diya. nanku aur pari hansi khushi se rahne lage.
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‘he sundri, tum yahan akeli van mein kyon rah rahi ho? tumhein to rajamhal mein rahna chahiye. ’ raja ne pari se kaha.
‘main yahan akeli nahin rahti hoon. mera pati aur mere jeth mere saath rahte hain. raha rajamhal mein rahne ka parashn to jahan mere apne log rahte hain vahin mera rajamhal hai. ’ pari ne uttar diya.
abhi raja pari se baat kar rahi tha ki nanku aur bail bhi aa ge. nanku ne raja se uske bare mein poochh taachh ki.
‘yah van mere rajya mein hi aata hai atah tumko meri aagya manni hogi aur mere liye suraj ki tarah chamakne vala laal patthar lana hoga. yadi tum laal patthar nahin la sakoge to main tumhari sundar patni ko apne saath le jaunga. ’ raja ne nanku ko dhamki dete hue kaha.
‘mujhe apaki aagya svikar hai. mere chhote bhai ke badle main aapke liye suraj ki tarah chamakne vala laal patthar launga. ’ nanku ke badle bail ne kaha.
‘theek hai. main ek saptah baad auunga. tab tak tum laal patthar le aana. ’ ye kahkar raja chala gaya.
raja ke jane ke baad nanku chintit ho utha. ‘bhaiya, tumne kah to diya lekin tum laal patthar laoge kahan se?’ nanku ne bail se puchha.
‘kahin se bhi launga lekin lakar rahunga. mere rahte hue tum donon par koi anch nahin aa sakti hai. ’ bail ne kaha.
‘lekin main tumko akele nahin jane dunga. main bhi tumhare saath chalunga. ’ nanku ne kaha.
‘aap donon ko kahin jane ki avashyakta nahin hai. mujhe pata hai ki suraj ki tarah chamakne vala laal patthar kahan milega, main abhi jakar wo patthar le aati hoon. ’ pari ne kaha.
‘main bhi tumhare saath chalunga. ’ nanku ne kaha.
‘nahin, vahan pariyon ke atirikt aur koi nahin ja sakta hai. aap chinta na karen, main abhi gai aur abhi aai. ’ ye kahte hue pari adrishya ho gai. dusre hi pal jab wo prakat hui to nanku aur bail ki ankhen chakachaundh ho gain. pari ke haath mein suraj ki tarah chamakne vala laal patthar tha. nanku patthar dekhkar bahut khush hua. use laga ki ab raja uski patni ko usse chheen nahin sakega. kintu bail samajh gaya ki raja ki niyat mein khot hai. laal patthar milne par wo koi aur upaay karega jisse pari ko wo nanku se chheen sake.
‘nanku, ek baat dhyaan se suno ki jab raja puchhe ki ye patthar kaun laya to kahna ki mera baDa bhai laya hai. use asli baat kadapi nahin batana. ’ bail ne nanku se kaha.
saptah bhar baad jab raja laal patthar lene aaya to nanku ne use patthar de diya.
‘ye patthar kaun laya?’ raja ne nanku se puchha.
‘mera baDa bhai patthar laya hai. ’ nanku ne kaha.
raja ne ye isliye puchha tha kyonki raja ne sun rakha tha ki jahan ye patthar milta hai vahan koi manushya nahin ja sakta hai. ab nanku ka baDa bhai manushya nahin bail tha atah raja kya kahta?
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raja ki baat sunkar nanku bahut dukhi hua. uski patni pari bhi bahut dukhi hui. tab bail ne unhen dhiraj bandhaya.
‘tum log chinta mat karo. main raja ke us bhainse ko asani se hara dunga. ’ bail ne kaha.
iske baad nirdharit din ko bail aur bhainse ke beech yuddh hua. bahut der tak yuddh chala. bhainse ne bail ko harane ka bahut prayas kiya kintu bail ko yuddh kala aati thi isliye usne bhainse ko parajit kar diya. ye dekhkar raja man masos kar rah gaya. use nanku ki patni to mili nahin, us par bail ko Dher sara iinam bhi dena paDa.
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ab raja ko apna sir pichhe ghuma kar bail ki poonchh ki or dekhana paDa. raja ko laga ki bail uski nakal mein kuch dikhane ki chaah mein apni poonchh dikha raha hai. raja man hi man hansa ki ye moorkh nahin janta hai ki mainne to use zahrili buti dene ko ise chiDiya dikhai thi aur ye mujhe meri naqal utarne ke liye mujhe apni poonchh dikha raha hai.
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‘main kal phir auunga. ’ jate jate raja ne nanku se kaha. use pata tha ki thoDi der mein bail mar jayega tab kal use nanku ki patni ko chheen kar le jane se rokne vala koi nahin rahega.
‘chalo, hum raja ka pichha karte hain. ’ raja ke jane ke baad bail ne nanku se kaha. bail aur nanku raja ke pichhe pichhe chal diye. kuch door jane par raja ka sir chakrane laga. buti apna prabhav dikhane lagi thi. ab raja ko samajh mein aaya ki bail uski chalaki samajh gaya tha aur bail ne bhi uske saath vahi kiya jo raja bail ke saath kar raha tha. kintu raja ab apne bachav ke liye kuch nahin kar sakta tha. wo bhumi par gir paDa aur dusre hi pal uske praan pakheru uD ge.
‘bhaiya, ye raja ko kya hua?’ nanku ne ashcharyachkit hote hue bail se puchha.
‘jaisi karni, vaisi bharni. ’ kahte hue bail ne nanku ko raja ki dushtata ke bare mein bataya. iske baad donon bhai khushi khushi ghar laut aaye. pari bhi raja ke marne ka samachar sunkar bahut khush hui.
kuch samay baad pari ne do bachchon ko janm diya. bail, nanku, pari aur uske donon bachche anandpurvak rahne lage.
bahut samay pahle ki baat hai, indravti nadi ke tat par ek ghana van tha. us van mein ek chiDiya aur ek chiDva rahte the. chiDiya ne do anDe diye. ek din achanak kale badal ghir aaye aur bijliyan taDakne lagin. ek bijli chiDiya aur chiDve ke ghonsle par giri. ashcharya ka vishay tha ki chiDiya aur chiDva apne donon anDon sahit surakshit bach ge. badal chale ge bijaliyon ka taDakna bhi band ho gaya. iske baad chiDiya phir apne anDon ko sene lagi.
kai mahine vyatit ho ge kintu anDe nahin phute aur unmen se chuze bhi nahin nikle. tab chiDiya aur chiDve ko laga ki unke anDe bijli girne ke karan kharab ho ge hain anyatha unmen se bahut pahle hi chuzon ko bahar aa jana chahiye tha. chiDiya aur chiDva dukhi man se apne anDon ko ghonsle mein chhoD kar van ke dusre chhor par chale ge aur vahin naya ghonsla banakar rahne lage.
idhar kuch samay baad chiDiya ke purane anDon mein se ek anDa phuta aur usmen se chuze ke badle ek bachhDa paida hua. das pal baad dusra anDa phuta aur usmen se ek balak paida hua. bachhDe aur balak ne ek dusre ko dekha aur ek dusre ko apna bhai samjha. donon ghonsla chhoD kar peD se niche utar aaye. niche aakar donon khelne lage. jab bachhDe ko bhookh lagi to usne ghaas char li aur jab balak ko bhookh lagi to usne phal toD kar kha liye. un dinon van mein hinsak pashu nahin pae jate the.
isliye donon bhai nishchint hokar khelte, ghumte aur khate pite. dhire dhire donon baDe hue. bachhDa baDa hokar ek svasth, tagDa bail ban gaya aur balak ek sundar yuvak ban gaya. ve jaise jaise baDe hue vaise vaise unke beech bhratri bhavna aur baDh gai. bail yuvak se das pal pahle paida hua tha isliye wo svayan ko baDa bhai manata tha aur yuvak ki raksha evan dekh bhaal karta tha. yuvak bhi bail ko apna baDa bhai manata tha aur uski baton ka aadar karta tha.
ek din bail ko laga ki meri khaal moti hai, mujh par dhoop, sheet ka vishesh prabhav nahin paDta hai kintu mere chhote bhai ki chamDi komal hai aur wo tez dhoop mein kali paD jati hai tatha sheet mein thithurne lagti hai. atah chhote bhai ko ek ghar banakar rahna chahiye. bail ne pahle to apne chhote bhai ka naam rakha—nanku. phir usne nanku se kaha ki tum chaar lakaDiyon par patton aur ghaas phoos ki chhajan Dalkar apne liye jhopDi bana lo. nanku ne bail ka kahna mante hue lakaDiyon aur ghaas phoos se ek nahin, do jhopaDiyan banain. ek apne liye aur dusri apne baDe bhai bail ke liye. use laga ki ye to anyay hoga ki chhota bhai jhopDi mein rahe aur baDa khule akash ke niche paDa rahe.
bail ne dekha ki nanku ne uske liye bhi jhopDi banai hai to uske man mein apne chhote bhai ke prati atyadhik prem umDa. tab bail nanku ki jhopDi mein gaya aur usne apni poonchh se nanku ki jhopDi ki lakaDiyon ko chhua. poonchh se chhute hi chamatkar ho gaya. nanku ki jhopDi ek sundar ghar mein badal gai. us ghar mein grihasthi ka pura saman tha. kintu bail ne apni jhopDi vaisi hi rahne di. use laga ki main to bail hoon, mujhe ghar athva grihasthi ke samanon ka kya karna? nanku ne apatti ki to bail ne use samjhaya ki—’mujhe jhopDi mein rahna achchha lagta hai. phir tumhara ghar to hai hi, jab man karega to usmen rah jaya karunga. ’
nanku bail ki ichchha ke samne chup raha.
kuch din baad bail ko laga ki ab uske chhote bhai ka vivah ho jana chahiye. ye vichar karke usne nanku ko vishesh chara lane ke bahane van mein ek pokhar ke paas bheja. bail ko pata tha ki pariyan us pokhar mein nahane aati hain. nanku pokhar ke kinare chara katne laga. usi samay pariyan pokhar mein nahane ain. nanku ne bhi pariyon ko dekha. wo pariyon mein se ek pari ki sundarta par mohit ho gaya. pari bhi nanku par mohit ho gai. tab pari nanku ke paas aai.
‘main tumhari patni bankar tumhare saath jivan bitana chahti hoon. ’ pari ne kaha.
‘is bare mein mujhe apne baDe bhai se puchhna hoga. ’ nanku ne uttar diya.
‘theek hai, hum tumhare baDe bhai ke paas chalte hain. ’ pari ne kaha.
nanku aur pari bail ke paas pahunche. bail to prtiksha hi kar raha tha. usne tatkal saharsh anumti dete hue donon ka vivah kara diya. nanku aur pari hansi khushi se rahne lage.
ek din ek raja bhatakta hua us or aa pahuncha jahan nanku aur bail rahte the. raja ne ghane van ke beech sundar ghar dekha to wo chakit rah gaya. itne mein use pari dikhai de gai. pari ki sundarta dekhkar wo murchhit hote hote bacha. wo pani pine ke bahane pari ke nikat ja pahuncha. usne pari se pani manga. pari ne use pani pilaya.
‘he sundri, tum yahan akeli van mein kyon rah rahi ho? tumhein to rajamhal mein rahna chahiye. ’ raja ne pari se kaha.
‘main yahan akeli nahin rahti hoon. mera pati aur mere jeth mere saath rahte hain. raha rajamhal mein rahne ka parashn to jahan mere apne log rahte hain vahin mera rajamhal hai. ’ pari ne uttar diya.
abhi raja pari se baat kar rahi tha ki nanku aur bail bhi aa ge. nanku ne raja se uske bare mein poochh taachh ki.
‘yah van mere rajya mein hi aata hai atah tumko meri aagya manni hogi aur mere liye suraj ki tarah chamakne vala laal patthar lana hoga. yadi tum laal patthar nahin la sakoge to main tumhari sundar patni ko apne saath le jaunga. ’ raja ne nanku ko dhamki dete hue kaha.
‘mujhe apaki aagya svikar hai. mere chhote bhai ke badle main aapke liye suraj ki tarah chamakne vala laal patthar launga. ’ nanku ke badle bail ne kaha.
‘theek hai. main ek saptah baad auunga. tab tak tum laal patthar le aana. ’ ye kahkar raja chala gaya.
raja ke jane ke baad nanku chintit ho utha. ‘bhaiya, tumne kah to diya lekin tum laal patthar laoge kahan se?’ nanku ne bail se puchha.
‘kahin se bhi launga lekin lakar rahunga. mere rahte hue tum donon par koi anch nahin aa sakti hai. ’ bail ne kaha.
‘lekin main tumko akele nahin jane dunga. main bhi tumhare saath chalunga. ’ nanku ne kaha.
‘aap donon ko kahin jane ki avashyakta nahin hai. mujhe pata hai ki suraj ki tarah chamakne vala laal patthar kahan milega, main abhi jakar wo patthar le aati hoon. ’ pari ne kaha.
‘main bhi tumhare saath chalunga. ’ nanku ne kaha.
‘nahin, vahan pariyon ke atirikt aur koi nahin ja sakta hai. aap chinta na karen, main abhi gai aur abhi aai. ’ ye kahte hue pari adrishya ho gai. dusre hi pal jab wo prakat hui to nanku aur bail ki ankhen chakachaundh ho gain. pari ke haath mein suraj ki tarah chamakne vala laal patthar tha. nanku patthar dekhkar bahut khush hua. use laga ki ab raja uski patni ko usse chheen nahin sakega. kintu bail samajh gaya ki raja ki niyat mein khot hai. laal patthar milne par wo koi aur upaay karega jisse pari ko wo nanku se chheen sake.
‘nanku, ek baat dhyaan se suno ki jab raja puchhe ki ye patthar kaun laya to kahna ki mera baDa bhai laya hai. use asli baat kadapi nahin batana. ’ bail ne nanku se kaha.
saptah bhar baad jab raja laal patthar lene aaya to nanku ne use patthar de diya.
‘ye patthar kaun laya?’ raja ne nanku se puchha.
‘mera baDa bhai patthar laya hai. ’ nanku ne kaha.
raja ne ye isliye puchha tha kyonki raja ne sun rakha tha ki jahan ye patthar milta hai vahan koi manushya nahin ja sakta hai. ab nanku ka baDa bhai manushya nahin bail tha atah raja kya kahta?
raja ne socha ki jab tak ye bail jivit rahega tab tak nanku ki patni praapt nahin ho sakegi. isliye raja ne dusri yukti apnai. usne nanku se kaha ki tumhara bhai to bahut balshali hai isliye main chahta hoon ki wo mere sabse priy bhainse ke saath yuddh kare. yadi wo yuddh mein mere bhainse ko hara dega to main use Dher sara iinam dunga kintu yadi wo mere bhainse se haar jayega to main tumhari patni ko apne saath le jaunga.
raja ki baat sunkar nanku bahut dukhi hua. uski patni pari bhi bahut dukhi hui. tab bail ne unhen dhiraj bandhaya.
‘tum log chinta mat karo. main raja ke us bhainse ko asani se hara dunga. ’ bail ne kaha.
iske baad nirdharit din ko bail aur bhainse ke beech yuddh hua. bahut der tak yuddh chala. bhainse ne bail ko harane ka bahut prayas kiya kintu bail ko yuddh kala aati thi isliye usne bhainse ko parajit kar diya. ye dekhkar raja man masos kar rah gaya. use nanku ki patni to mili nahin, us par bail ko Dher sara iinam bhi dena paDa.
apni yojna ki asphalta par raja baukhla utha. usne ek guniya ko bulaya. guniya se usne kaha ki tum koi aisi buti do ki jisse bail mar jaye aur kisi ko uske marne ke karan ka pata bhi na chale. guniya tha raja ka param bhakt. usne ek aisi buti raja ko lakar di jisse bail ko mara ja sakta tha. buti pane ke baad raja ne nanku ke paas suchana bheji ki mainne ab tak tum logon ko bahut tang kiya hai lekin ab mein tum logon se mitrata karna chahta hoon. isliye main tum logon ke saath bhojan karna chahta hoon.
nanku tha sidha sada. usne socha ki raja ka hriday parivartan ho gaya hoga aur wo sachmuch mitrata karna chahta hoga. usne bail se salah lekar raja ko bhojan par amantrit kiya. bail janta tha ki raja bahut dusht prkriti ka hai. uska hriday itni asani se parivartit nahin ho sakta hai kintu yadi koi bhojan karne aana chahta ho to bhala use mana kaise kiya jaye? atah raja ko amantrit karne ke siva aur koi upaay na tha.
nanku ka amantran pakar raja nanku ke ghar aa pahuncha. pari ne apne hathon se bhojan pakaya. bail, nanku aur raja tinon bhojan karne baithe. nanku ki suraksha ki drishti se bail raja aur nanku ke beech baith gaya. raja bhi yahi chahta tha ki bail uske paas baithe. pari ne tinon ke liye bhojan parosa. tinon ne bhojan karna arambh kiya. do kaur khane ke baad raja ne bail se kaha, ‘vo dekho, khiDki ke bahar us peD par kitni sundar chiDiya baithi hai.
raja ki baat sunkar bail ne apna sir ghuma kar khiDki ke bahar ki or dekha. nanku aur pari ka dhyaan bhi khiDki ki or chala gaya. is prakar dhyaan bantakar raja ne apni thali bail ki thali se badal di. thali badalne se pahle raja ne apni thali ke bhojan mein guniya ki di hui buti mila di thi.
‘haan, buhat sundar chiDiya hai. kahte hue bail ne vapas apna sir ghumaya aur bhojan karne ke liye jaise hi apni thali ki or dekha to use sandeh hua ki ye uski thali nahin hai. darasal, bail ki apni alag thali thi. wo dekhne mein to anya thaliyon jaisi thi kintu usne apni thali mein ek chhota sa nishan laga rakha tha. pari bhi bail ke liye usi ki thali mein bhojan parosa karti thi. ye baat raja ko pata na thi. bail ne dhyaan se dekha to wo jaan gaya ki uski thali raja ke samne rakhi hui thi jiska arth tha ki raja ne un logon ka dhyaan bantakar bail ki thali se apni thali badal li thi.
avashya koi gaDbaD hai, bail ne socha. bail chatur tha. usne raja se kaha, ‘aaj mainne apni poonchh par tail lagaya hai jisse dekhiye wo kitni chamak rahi hai. ’
ab raja ko apna sir pichhe ghuma kar bail ki poonchh ki or dekhana paDa. raja ko laga ki bail uski nakal mein kuch dikhane ki chaah mein apni poonchh dikha raha hai. raja man hi man hansa ki ye moorkh nahin janta hai ki mainne to use zahrili buti dene ko ise chiDiya dikhai thi aur ye mujhe meri naqal utarne ke liye mujhe apni poonchh dikha raha hai.
‘haan, tumhari poonchh to aaj bahut chamak rahi hai. ’ raja ne kaha.
jitni der mein raja ne bail ki poonchh ki or dekha utni der mein bail ne apni thali raja ki thali se badal di. ye baat raja ko pata nahin chal pai. wo svaad le lekar bhojan karta raha. bhojan karne ke baad raja ne nanku se vida li aur apne mahl ki or chal diya.
‘main kal phir auunga. ’ jate jate raja ne nanku se kaha. use pata tha ki thoDi der mein bail mar jayega tab kal use nanku ki patni ko chheen kar le jane se rokne vala koi nahin rahega.
‘chalo, hum raja ka pichha karte hain. ’ raja ke jane ke baad bail ne nanku se kaha. bail aur nanku raja ke pichhe pichhe chal diye. kuch door jane par raja ka sir chakrane laga. buti apna prabhav dikhane lagi thi. ab raja ko samajh mein aaya ki bail uski chalaki samajh gaya tha aur bail ne bhi uske saath vahi kiya jo raja bail ke saath kar raha tha. kintu raja ab apne bachav ke liye kuch nahin kar sakta tha. wo bhumi par gir paDa aur dusre hi pal uske praan pakheru uD ge.
‘bhaiya, ye raja ko kya hua?’ nanku ne ashcharyachkit hote hue bail se puchha.
‘jaisi karni, vaisi bharni. ’ kahte hue bail ne nanku ko raja ki dushtata ke bare mein bataya. iske baad donon bhai khushi khushi ghar laut aaye. pari bhi raja ke marne ka samachar sunkar bahut khush hui.
kuch samay baad pari ne do bachchon ko janm diya. bail, nanku, pari aur uske donon bachche anandpurvak rahne lage.
स्रोत :
पुस्तक : भारत के आदिवासी क्षेत्रों की लोककथाएं (पृष्ठ 157)
हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी
‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।