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बुंदेली लोकगीत : बालम तुम बिन कैसे खेलौं होरी

bundeli lokgit ha balam tum bin kaise khelaun hori

रोचक तथ्य

संदर्भ—प्रियतम से निवेदन।

बालम तुम बिन कैसे खेलौं होरी।।टेक।।

बीती जात रितु फागुन, अजहुँ लीन्ही सुध मोरी।

जैसे मीन जल बिन तरफत, सो गति भई है मोरी।।1।।

सुन रे पथिक कहियो तुम उनसे, नहीं कोनो चोरी।

कृपा करो आओ अब लालन, बहुत गई रई थोरी।।2।।

स्रोत :
  • पुस्तक : हिंदी के लोकगीत (पृष्ठ 360)
  • संपादक : महेशप्रताप नारायण अवस्थी
  • प्रकाशन : सत्यवती प्रज्ञालोक
  • संस्करण : 2002

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