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मेैथिली लोकगीत : बेरि बेरि बरजह दीनानाथ हे

meaithili lokgit ha beri beri barjah dinanath he

रोचक तथ्य

संदर्भ—सूर्य देव से प्रार्थना।

बेरि बेरि बरजह दीनानाथ हे,

बबा हे, तिरिया जनम जनि देहु।।1।।

तिरिया जनम जब देहु हे दीनानाथ,

बबा हे, सुरति बहुत जनि देहु।।2।।

सुरति बहुत जब देहु हे दीनानाथ,

बबा पुरुख अमरुख जनि देहु।।3।।

पुरुख अमरुख जब देहु हे दीनानाथ,

बबा हे कोखिया बिहुन जनि देहु।।4।।

कोखिया बिहुन जब देहु हे दीनानाथ,

बबा हे सउतिन सउत जनि देहु।।5।।

हे सूर्य नारायण! मैंने आपसे बार-बार आग्रह किया कि मुझे स्त्री का जन्म मत दीजिए।।1।।

यदि स्त्री का जन्म दीजिए तो बहुत सुंदरता दीजिए।।2।।

यदि बहुत सुंदरता दीजिए तो मूर्ख तथा क्रोधी पति मत दीजिए (क्योंकि वह मेरी सुंदरता के कारण सदैव मुझ पर शक करेगा और मेरी पिटाई होगी)।।3।।

यदि मूर्ख और क्रोधी पति दीजिए तो कोख से रहित (संतानहीन) बनाइएगा।।4।।

यदि संतानहीन ही बनाइएगा तो सौतें या सौत दीजिएगा (क्योंकि वे सदा ताने दिया करेंगी।।5।।

स्रोत :
  • पुस्तक : हिंदी के लोकगीत (पृष्ठ 37)
  • संपादक : महेशप्रताप नारायण अवस्थी
  • प्रकाशन : सत्यवती प्रज्ञालोक
  • संस्करण : 2002

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