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मैथिली लोकगीत : चिर अभरन राधा धयलन्हि उतारी

maithilii lokagiit : chir abhran raadha dhaylanhi utaarii

रोचक तथ्य

संदर्भ—वंशीवट चीर-लीला।

चिर अभरन राधा धयलन्हि उतारी।

पैसलि जमुनदह अंग उघारी।।1।।

चिर अभरन कान्ह ले गेला चोराय।

बैसल कदम डारि मुरली बजाय।।2।।

चिर अभरन राधा लिय” समुहाय।

अपन बचन राधादिय ने सुनाय।।3।।

कुमारी राधा ने अपनी साड़ी और गहने उतार कर रख दिए और खुले अंग यमुना में उतरी।।1।।

तब तक कृष्ण गए और उनकी साड़ी और गहने चुरा ले गए। वे कदंब की डाल पर बैठकर मुरली बजाने लगे।।2।।

श्रीकृष्ण ने राधा से कहा—हे राधे! सामने आकर अपनी साड़ी और गहने ले लो एवं अपने वचन सुना दो।।3।।

स्रोत :
  • पुस्तक : हिंदी के लोक (पृष्ठ 53)
  • संपादक : महेशप्रताप नारायण अवस्थी
  • प्रकाशन : सत्यवती प्रज्ञालोक
  • संस्करण : 2002

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