मैथिली लोकगीत : हमरो से कोन भइया चतुरि सेयान हे
maithili lokgit ha hamro se kon bhaiya chaturi seyan he
रोचक तथ्य
संदर्भ—खेल का प्रारंभिक गीत। बहिन कथन भाई से।
हमरो से कोन भइया चतुरि सेयान हे।
बमे ले लन कगजा दहिने खतियान हे।।1।।
अपना लागि लिखिह भइया अनधन लछमी हे।
हमरा लागि लिखिह भइया सामा जोड़ चकेवा हे।।2।।
अपना लागि लिखिह भइया चढने के घोडवा हे।
हमरा लागि लिखिह भइया हंसा जोड़ि चकेवा हो।।3।।
बहिन कहती है—हमारे भाई बड़े चतुर और सयाने हैं। वे बाएँ हाथ में काग़ज़ और दाहिने हाथ में खाताबही लेकर बैठे हैं।।1।।
बहिन भाई से कहती है—हे भैया! आप खाते में अपने लिए अन्न-धन और लक्ष्मी लिख लीजिए और मेरे लिए ‘श्यामा-चकेवा' (नगण्य सा खेल)।।2।।
हे भाई! आप खाते में अपने चढ़ने के लिए घोड़ा लिख लीजिए और मेरे
लिए ‘श्यामा-चकेवा' की जोड़ी।।3।।
- पुस्तक : हिंदी के लोकगीत (पृष्ठ 40)
- संपादक : महेशप्रताप नारायण अवस्थी
- प्रकाशन : सत्यवती प्रज्ञालोक
- संस्करण : 2002
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