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मगही लोकगीत : चान मामू , चान मामू

maghii lokagiit : chaan maamuu , chaan maamuu

रोचक तथ्य

संदर्भ—दुग्धपान।

चान मामू , चान मामू।

आरे आवऽ, बारे आवऽ, नदिया किछारे आवऽ,

सोना के कटोरी में दुद्धा-भत्ता’ ले ले आवऽ।।1।।

बउआ खाए दूध-भतवा, चिड़इयाँ चाटे पतवा,

पतवा उड़ियायल आए, बउआ के मुँह में घुटुक।।2।।

एक माँ कहती है—''हे चंदा मामा! उधर आ, इधर और नदी के कछार में आ। सोने की कटोरी में दूध-भात लेता आ''।।1।।

बच्चा दूध-भात खाए, चिड़ियाँ पत्ता चाटें। पत्ता उड़ने को है, बच्चे मुँह में दूध की घूँट।।2।।

स्रोत :
  • पुस्तक : हिंदी के लोकगीत (पृष्ठ 80)
  • संपादक : महेशप्रताप नारायण अवस्थी
  • प्रकाशन : सत्यवती प्रज्ञालोक
  • संस्करण : 2002

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