ब्रजी लोकगीत : ऊधो जी, तुम जाय स्याम को समझाना
vrajii lokagiit : uudho jii, tum jaay syaam ko samjhaana
रोचक तथ्य
संदर्भ—श्री राधा जी का उद्धव जी से निवेदन।
ऊधो जी, तुम जाय स्याम को समझाना।
हमको लिख-लिख जोग पठावें, आपु मधुपुरी मौज उड़ावैं।
सौतन लियौ बिरमाय, निठुर बन गयौ कान्हा॥
लिखते में कछु लाज न आई, जियत खसम किन भसम रमाई।
प्रान रहे घबराय, लिवा उनको लाना॥
प्यारे स्याम बेगि सुधि लीजो, राधा कहे दरस मोय दीजो।
बरसाने में आय, प्रेम रस बरसाना॥
- पुस्तक : हिंदी के लोकगीत (पृष्ठ 318)
- संपादक : महेशप्रताप नारायण अवस्थी
- प्रकाशन : सत्यवती प्रज्ञालोक
- संस्करण : 2002
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