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भोजपुरी लोकगीत : रामा, जमुना किनारावा कदमवा के गछिया हो रामा

bhojapuri lokgit ha rama, jamuna kinarawa kadamwa ke gachhiya ho rama

रोचक तथ्य

संदर्भ—राधा जी की विह्वलता।

रामा, जमुना किनारावा कदमवा के गछिया हो रामा।

ताहि चढ़ि किसन जी बँसिया बजवले हो रामा।।1।।

ताहि चढ़ि०।

रामा, बंसी के सबदवा सुनेली कुँवरि राधिका हो रामा।

गोखुला में रहलो ना जाला हो रामा।।2।।

गोखुला मे०।

रामा, किया बंसी बाजेला नन्द दुअरवा रामा।

किया बंसी बाजेला जमुना किनारावा रामा।।3।।

किया बंसी०।

यमुना के तट पर कदंब का घना वृक्ष है, उस पर चढ़कर कृष्ण जी बजाते हैं।।1।।

वंशी की आवाज़ कुमारी राधा ने सुनी (तो वे व्याकुल हो गईं)। वंशी के

कारण गोकुल में रहा नहीं जाता।।2।।

राधा जी किसी सखी से पूछती हैं—क्या वंशी नंद जी के द्वार पर बज रही है या यमुना-तट पर?।।3।।

स्रोत :
  • पुस्तक : हिंदी के लोकगीत (पृष्ठ 107)
  • संपादक : महेशप्रताप नारायण अवस्थी
  • प्रकाशन : सत्यवती प्रज्ञालोक
  • संस्करण : 2002

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