ब्रजी लोकगीत : गिरवर लैके भारो गिर न पड़ै गोपाल
brji lokgit ha girwar laike bharo gir na paDai gopal
रोचक तथ्य
संदर्भ—गोवर्धन-धारण-लीला।
गिरवर लैके भारो गिर न पड़ै गोपाल।
ब्रज की सखी सब पूजन निकरी, भरभर मुतियन थार॥
इन्दर कोप चढ़ेउ ब्रज ऊपर, बरसत मूसलधार।
सात दिवस मघवा झर लायौ, ब्रज में पड़ी न फुहार॥
ग्वाल बाल सब गिरवर नीचे, मुरली बजावैं नंदलाल।
चंद सखी भज बालकृष्ण छबि, निरखत मुख गोपाल॥
- पुस्तक : हिंदी के लोकगीत (पृष्ठ 301)
- संपादक : महेशप्रताप नारायण अवस्थी
- प्रकाशन : सत्यवती प्रज्ञालोक
- संस्करण : 2002
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