मेथिली लोकगीत : जइसन नदिया सेमार तइसन भइया असवार
methili lokgit ha jaisan nadiya semar taisan bhaiya aswar
रोचक तथ्य
संदर्भ—भाई की प्रशंसा और चुंगला (चुगलखोर) की निंदा।
जइसन नदिया सेमार तइसन भइया असवार।।1।।
जइसन केरवा क थम्भ तइसन भइया क जाँघ।।2।।
जइसन धोबिया क पाट तइसन भइया क पीठ।।3।।
जइसन रेसम क रेस तइसन भइया क केस।।4।।
जइसन आम के फाँक तइसन भइया क आँख।।5।।
जइसन चन्ना बिरीछ तइसन भइया हाथ क लाठी।।6।।
जइसन जरल जराठी तइसन चुंगला हाथ क लाठी।।7।।
बहिन भाई की प्रशंसा करते हुए कहती है—जैसे नदी के ऊपर सेवार रहता
है, वैसे ही मेरे भैया घोड़े पर सवार हैं।।1।।
- पुस्तक : हिंदी के लोकगीत (पृष्ठ 40)
- संपादक : महेशप्रताप नारायण अवस्थी
- प्रकाशन : सत्यवती प्रज्ञालोक
- संस्करण : 2002
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