कनौजी लोकगीत : तुम्हारो मँड़ओ पिया हमें न सुहाय
kanauji lokgit ha tumharo manDao piya hamein na suhay
रोचक तथ्य
संदर्भ—मामा का विवाह हेतु पियरी ले जाना।
तुम्हारो मँड़ओ पिया हमें न सुहाय,
हमरे बिरन नहिं आये।
लावौ न रनियाँ मोरी कलम दबात,
चिठिया लिखौं बिरन चले आमैं।।1।।
उइ रे देस राजा गंगा बहत हैं,
हमरे बिरन नहिं आमैं।
केवट बुलाय रानी नइया चलावौ,
रानी के बिरन चलि आमैं।।2।।
भइया जो पूछैं अपनी बहिन ते,
कितनी खरच तोरे माड़ए रे।
सासु का चहियैं भइया लहर पटोरा,
ननदी नवरंग चूनरी।।3।।
भैने का चहिए बिरना पाँचौ कपड़ा,
हमको तौ पियरी धोति रे।
बहनोई का भइया असिल घोड़ा,
इत्तो खरचं मोरे माड़ए रे।।4।।
लैके बकुचा भइया मड़ए बैठे,
मानौ बजाज के पूत हैं।
लैके थैली भइया मड़ए जो बैठे,
मानौ सराफ के पूत हैं।।5।।
- पुस्तक : हिंदी के लोकगीत (पृष्ठ 236)
- संपादक : महेशप्रताप नारायण अवस्थी
- प्रकाशन : सत्यवती प्रज्ञालोक
- संस्करण : 2002
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