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लोकगीत

लोक में प्रचलित, लोक द्वारा रचित एवं संरक्षित गीतों को लोकगीत कहा जाता है। लोकगीतों का रचनाकार अपने लेखन को लोक-समर्पित कर देता है। लोकगीत किसी एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि पूरे समाज की थाती होते हैं। शास्त्र के किसी नियम की बाध्यता नहीं, मनुष्य के सुख-दुख की तरंग में जो छंदोबद्ध वाणी सहज उत्पन्न करे, वही लोकगीत है।

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