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पर गई लरकन की रगदाई

par gai larkan ki ragdai

ईसुरी

ईसुरी

पर गई लरकन की रगदाई

ईसुरी

और अधिकईसुरी

    पर गई लरकन की रगदाई!

    बउ बरसान कहाई।

    धोबन ज्वाय देत धोंबे खों, अब नइँ होत धुआई॥

    सोरें धोउत बसोरन चिक गई, नाँइ करत है नाई॥

    कैसी करें रंज के मारें घर में आफ़त आई॥

    आँगन सौ घर हो गऔ ‘ईसुर’ मागन लगे खबाई॥

    लड़कों का ढेर लगा दिया। बहू के हर वर्ष बच्चा होता है। उसे वर्ष बियावन कहते हैं। धोबिन अब कपड़े धोने से मना करने लगी। बरोड़िन प्रसूति के कपड़े धो-धो कर थक गई। नाई ने भी ना कर दी है। क्या करें बड़े दुख में हैं। घर पर विपत्ति गई है। घर चौपट हो रहा है। अरे ईसुर, सब खाने को माँगते हैं। कहाँ से क्या करें?

    स्रोत :
    • पुस्तक : ईसुरी की फागें (पृष्ठ 112)
    • संपादक : घनश्याम कश्यप
    • प्रकाशन : शब्दपीठ
    • संस्करण : 1995

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    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

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    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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