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टेरौ बलदऊ के भइयै

terau baladu ke bhaiyai

ईसुरी

ईसुरी

टेरौ बलदऊ के भइयै

ईसुरी

और अधिकईसुरी

    टेरौ बलदऊ के भइयै!

    लगवावे खाँ गैये!

    कौंरे हात पकर ना आबै, बछरा बारी बैयै॥

    उचका कूंदी होय बगर में, चीनत नइ लगवैऐ॥

    जा है कीरत नंद बबा की, लै गई मोय कनैयै॥

    अपने खोटे दाम ‘ईसुर’, दोष कौन परखैयै॥

    गाय लगाने के लिए बलराम के भाई को बुलाओ। हमारी सुकुमार बेटी के हाथ बहुत कोमल हैं। उन्हें बछड़ा पकड़ना नहीं आता। गोशाला में उछल−कूद मची रहती है। गाय, दोहने वाले को नहीं पहचानती। नंद बाबा की ऐसी कीर्ति है कि वह मेरे लाड़ले कृष्ण को ले गई। अरे ईसुरी! जब अपना दाम खोटा हो तो परखनेवाले को दोष देना व्यर्थ है।

    स्रोत :
    • पुस्तक : ईसुरी की फागें (पृष्ठ 52)
    • संपादक : घनश्याम कश्यप
    • प्रकाशन : शब्दपीठ
    • संस्करण : 1995

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