सजनी ला पनघट पै जइयै
sajni la panghat pai jaiyai
सजनी ला पनघट पै जइयै जाँ घटवासी पइये।
घट रस भर अपनौ घटिया घट, बढ़िया सरस बनईये।
घट बढ़ जात अघट घटना लख, घट बढ़ कबहुँ न कइये।
औघट घाट वाट कों तजकें घट घाट करइये।
जा घनश्याम नीच पनघट पै, ना पनघटी करइये॥
- पुस्तक : बुंदेलखंड की फागें (पृष्ठ 104)
- संपादक : अयोध्या प्रसाद गुप्त 'कुमुद'
- रचनाकार : घनश्याम
- प्रकाशन : उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी
- संस्करण : 2000
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