मों पै घुँघटा की ढिक डारें
mo.n pai ghu.nghTa kii Dhik Daare.n
ओम प्रकाश सक्सेना ‘प्रकाश’
Om Prakash Saxena 'prakash'
मों पै घुँघटा की ढिक डारें
mo.n pai ghu.nghTa kii Dhik Daare.n
Om Prakash Saxena 'prakash'
ओम प्रकाश सक्सेना ‘प्रकाश’
और अधिकओम प्रकाश सक्सेना ‘प्रकाश’
मों पै घुँघटा की ढिक डारें, सैन उरैन समारें।
पूरें चौक माँघ सेंदुर दै, आखत टींका पारें।
कजरा दैकें करें अमाउस, दोऊ नैन उजयारें।
लगत ‘प्रकाश’ दिवारी आ गइ, हँसत फुलझरीं बारें॥
- पुस्तक : बुंदेलखंड की फागें (पृष्ठ 87)
- संपादक : अयोध्या प्रसाद गुप्त 'कुमुद'
- रचनाकार : ओम प्रकाश सक्सेना ‘प्रकाश’
- प्रकाशन : उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी
- संस्करण : 2000
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