चूँमा दो नाँय करौ मुँइयाँ
chuu.nma do naa.ny karau mu.n.iyaa.n
किशोर (बुंदेलखंडी)
Kishor (Bundelkhandi)
चूँमा दो नाँय करौ मुँइयाँ
chuu.nma do naa.ny karau mu.n.iyaa.n
Kishor (Bundelkhandi)
किशोर (बुंदेलखंडी)
और अधिककिशोर (बुंदेलखंडी)
चूँमा दो नाँय करौ मुँइयाँ, तुम सें मन लगा रहो गुँइयाँ।
गोरो बदन गुलाबी झूला, हँसतन में परतीं कुँइयाँ।
बोलत बोल रसीले ऐसे, ज्यों पिंजरा बोलै टुँइयाँ।
कहत किशोर तुमें बिन देखे, पल भर चैन परत नइयाँ॥
- पुस्तक : बुंदेलखंड की फागें (पृष्ठ 78)
- संपादक : अयोध्या प्रसाद गुप्त 'कुमुद'
- रचनाकार : किशोर
- प्रकाशन : उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी
- संस्करण : 2000
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