हौं जाना कछु मीठ, अंत वह तीत है
haun jana kachhu meeth, ant wo teet hai
हौं जाना कछु मीठ, अंत वह तीत है,
देखो देह बिचार ये देह अनीत है।
पान फूल रस भोग अंत सब रोग है,
प्रीतम प्रभु के नाम बिना सब सोग है।
- पुस्तक : भजन-संग्रह चौथा भाग (पृष्ठ 114)
- संपादक : वियोगी हरि
- रचनाकार : वाजिद
- प्रकाशन : वीर सेवा मंदिर दिल्ली
- संस्करण : 1991
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