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गहले ब्रह्मचारी की रीती

gahle brahmachaarii kii riitii

घनश्याम

घनश्याम

गहले ब्रह्मचारी की रीती

घनश्याम

और अधिकघनश्याम

    गहले ब्रह्मचारी की रीती, यही सनातन जीती।

    तज दो तात फूट को रहबो, करौ परस्पर प्रीती।

    यह संसार राँट की घरियाँ, भरी जाँय कोई रीती।

    दुज घनश्याम हाय भारत पै, पर गई गाज अचीती॥

    स्रोत :
    • पुस्तक : बुंदेलखंड की फागें (पृष्ठ 104)
    • संपादक : अयोध्या प्रसाद गुप्त 'कुमुद'
    • रचनाकार : घनश्याम
    • प्रकाशन : उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी
    • संस्करण : 2000
    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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