नगर बाहिरे रे डोंबि तोहोरि
nagar baahire re Dombi tohori
नगर बाहिरे रे डोंबि तोहोरि कुड़िआ।
छोइ-छोइ जाहि सो बाह्मण नाड़िया॥
आलो डोंबि तोए सम करिबो मो साङ्ग।
निघिन काह्ण कापालि जोइ लाङ्ग॥ध्रुवपद॥
एक सो पदुमा चौषठी पाखुड़ी।
तहिं चड़ि नाचअ डोंबि बापुड़ी॥ध्रु॥
हालो डोंबि तो पूछमि सदभावे।
आइससि जासि डोंबि काहरि नावें॥ध्रु॥
तांति विकणअ डोंबि अवर ना चांगेड़ा।
तोहोर अंतरे छाड़ि नड़ पेड़ा॥ध्रु॥
तु लो डोंबि हाउँ कपाली।
तोहोर अंतरे मोए घेणिलि हाड़ेरि माली॥ध्रु॥
सरोवर भांजिअ डोंबि खाअ मोलाण।
मारमि डोंबि लेमि पराण॥ध्रु.॥
- पुस्तक : सहज सिद्ध : चर्यागीति विमर्श (पृष्ठ 60)
- संपादक : रणजीत साहा
- रचनाकार : कण्हपा
- प्रकाशन : यश पब्लिकेशन्स
- संस्करण : 2010
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