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प्रसिद्ध जैन कवि-वैयाकरण। अनुमानित समय : 1088 ई. से 1179 ई. तक। ‘कलिकाल सर्वज्ञ’ और ‘अपभ्रंश के पाणिनि’ कहे गए।
समादृत कवि-गद्यकार और अनुवादक। साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित।
भक्तिकाव्य में कृष्ण भक्ति शाखा का चर्चित नाम। राज परिवार में जन्म लेकर भी रजवाड़ों में किए जा रहे स्त्री-शोषण के विरुद्ध खड़ी कवयित्री।
सुपरिचित कवयित्री और गद्यकार।
भक्तिकाल के निर्गुण संत। दादूपंथ के संस्थापक। ग़रीबदास, सुंदरदास, रज्जब और बखना के गुरु।
नई पीढ़ी के चर्चित कवि-लेखक।
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