यशपाल की कहानियाँ
दूसरी नाक
लड़के पर जवानी आती देख जब्बार के बाप ने पड़ोस के गाँव में एक लड़की तजवीज़ कर ली। लेकिन जब्बार ने हस्बा की लड़की शब्बू को जो पानी भर कर लौटते देखा, तो उसकी सुध-बुध जाती रही। जैसे कथा कहानी में कहा जाता है कि शाहज़ादा नदी में बहता हुआ सोने का एक बाल
लखनवी अंदाज़
मुफ़स्सिल को पैसेंजर ट्रेन चल पड़ने की उतावली में फूँकार रही थी। आराम से सेकंड क्लास में जाने के लिए दाम अधिक लगते हैं। दूर तो जाना नहीं था। भीड़ से बचकर, एकांत में नई कहानी के संबंध में सोच सकने और खिड़की से प्राकृतिक दृश्य देख सकने के लिए टिकट सेकंड
दुःख का अधिकार
(मनुष्यों की पोशाकें उन्हें विभिन्न श्रेणियों में बाँट देती हैं। प्राय: पोशाक ही समाज में मनुष्य का अधिकार और उसका दर्जा निश्चित करती है। वह हमारे लिए अनेक बंद दरवाज़े खोल देती है, परंतु कभी ऐसी भी परिस्थिति आ जाती है कि हम ज़रा नीचे झुककर समाज की निचली