1943 | वाराणसी, उत्तर प्रदेश
हिंदी की अग्रणी एवं सुप्रतिष्ठित रचनाकार।
(छुट्टी के घंटे की आवाज़, आठ-दस बच्चे एक दूसरे को धक्का देते हँसते, चिढ़ाते बैग लिए भागते हुए चले जाते हैं। बीच-बीच में स्टेज के अंदर से फेरीवालों की मज़ेदार लटके भरी आवाज़ें—चने कुरमुरे चटख़ारेदार, येई तरावटी आइसक्रीम, खट्टी गोलियाँ, ठंडा शरबत, नीबू-संतरे
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जश्न-ए-रेख़्ता | 13-14-15 दिसम्बर 2024 - जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम, गेट नंबर 1, नई दिल्ली
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