गांधी के मोती
सन् 1921 का आंदोलन ढलाव पर था। लोग सज़ाएँ काट कर जेलों से छूट रहे थे। अँग्रेज़ों की चिढ़ बनी थी। पर जनता की उत्तेजना शांत न हो पाई थी। बिना विध्वंस किए यह शांत हुआ नहीं करती।
ख़िलाफ़त के दिनों हिंदू-मुसलमानों में दूध-शक्कर की जैसी एकता थी। आंदोलन का