हरिशंकर परसाई के संस्मरण
मुक्तिबोध : एक संस्मरण
भोपाल के हमीदिया अस्पताल में मुक्तिबोध जब मौत से जूझ रहे थे, तब उस छटपटाहट को देखकर मोहम्मद अली ताज ने कहा था- उम्र भर जी के भी न जीने का अंदाज़ आया ज़िंदगी छोड़ दे पीछा मेरा मैं बाज आया जो मुक्तिबोध को निकट से देखते रहे हैं, जानते हैं कि दुनियावी अर्थों