पृथ्वीराज राठौड़ की संपूर्ण रचनाएँ
दोहा 1
माई एहड़ा पूत जण, जेहड़ा राण प्रताप।
अकबर सूतो ओझकै, जाण सिराणै साँप॥
हे माता ऐसे पुत्रों को जन्म दे, जैसा राणा प्रताप है। जिसको अकबर सिरहाने का साँप समझ कर सोता हुआ चौंक पडता है।
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- व्याख्या