सोमेश्वर की पहाड़ियों में
(एक)
"आप तो अब पूरे। —सचमुच पूरे महंत हुए जा रहे हैं। क्या आपकी आखेट-प्रियता समाप्त हो गई?"
किसी ने पीछे से, मेरे कंधों पर हाथ रखकर, ऊपर लिखी बातें एक ही साँस में कह डालीं। उस दिन नरकटियागंज (चंपारन) में भूकंप-विध्वस्त श्रीजानकी-संस्कृत-विद्यालय