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सर्बिया

sarbiya

शिवप्रसाद गुप्त

और अधिकशिवप्रसाद गुप्त

    बुडा से रेल पर चढ़कर सर्बिया की यात्रा की। जितना ही आगे बढ़ता जाता था उतना ही यूरोपियन सभ्यता की कमी और एशियाई भाव की बढ़ती देख पड़ती थी। पाश्च्यात्य पोशाक, रहन-सहन, चाल-चलन की जगह एशियाई वेशभूषा और रीति-रस्म देख पड़ने लगे। बैल, भेड़-बकरी, यहाँ तक कि मिट्टी तक बदल गई! रेल-लाइन के दोनों तरफ़ बहुत सी तंबाकू की खेती देख पड़ी। बेलग्रेड (Bielgorod) इसका स्थानीय उच्चारण है 'वियेलगो-रोड' अर्थात श्वेत-नगर। रात को रेल से उतर कर होटल जाने के रास्ते में मुझे स्पष्ट मालूम पड़ने लगा कि यूरोप से विदा हो रहा हूँ। सवेरे उठ कर 'शानकर-कंपनी’ के आफ़िस में गया। लंदन से चलते समय संकल्प था कि बुडा-पेस्ट से लौट आऊँगा। किंतु वियेना में जब था तब एक दिन पार्क में संध्या के समय बैठे-बैठे मैंने सोचा कि इतनी दूर आकर ग्रीस और टर्की को देखे बिना चले जाना ठीक नही, यात्रा करने की लालसा अत्यंत प्रवज्ञ होने पर भी तंदरुस्ती ठीक थी। परंतु विधाता के सहारे उसी रात को लंदन के बैंक को कुछ रुपया बेलग्रेड में ‘शानदार कंपनी’ के पते पर भेजने के लिए लिखकर मैंने ग्रीस और टर्की देखने इरादा पक्का कर लिया। इस कंपनी का नाम भी पहले मुझे नही मालूम था। बेलग्रेड में कुक-कंपनी का कोई प्रबंध होने के कारण पता लगाने से मुझे इस कंपनी का परिचय प्राप्त हुआ था। बेलग्रेड में जब मैं आया तो ‘शानकर कंपनी’ के दफ़्तर में रुपए आने-न-आने का समाचार पूछने गया। मालूम हुआ कि इस संबंध का कोई पत्र या रुपए अभी तक इस कंपनी में नही आया। यहाँ से नगर की सैर करने के लिए चला। नगर छोटा है... 55,000 के लगभग लोग बसतें हैं। यह देश 400 बरस से भी अधिक समय तक टर्की के अधीन रह चुका है। इसी से यहाँ कुछ-कुछ मुसलमानी भाव अब तक देख पड़ता है। संधि-पत्र में मस्जिदों को तोड़ने का निषेध है; इस का कारखाना खुला है। सड़कों पर गैस की रोशनी का प्रबंध नही हुआ है। दूर-दूर पर किरोसिन तेल की एक-एक लालटेन टिमटिमाया करती है राजमहल के लिए यह गैस का कारखाना खुला है। बाज़ार में जाकर देखा,हम लोगों के देहातों की तरह हाट लगी हुई है। ज़मीन में चटाइयों के ऊपर ढेर के ढेर आलू, प्याज़, परवल आदि रक्खे हैं; दूकानदार लोग बेच रहे है। आस-पास के देहाती निम्नश्रेणी के बहुत से औरत-मर्द मामूली कपडे पहने नंगे पैरों सौदा खरीदनें आए हैं। कुछ लोग कबुलियों के ऐसे कपड़े पहने थे; उनके पैरों में बस्किन जूते थे। रास्ते में भद्रमहिलाएँ नंगे पैरों में मख़मली पतले स्लीपर पहने सैर करने निकली हैं। उनके सिर पर तुर्की टोपी और उसके ऊपर जूडा एक नया ही दृश्य था। जुड़ों में रुपयों की मालाएँ गुथी हुई थीं। यहाँ मिसरी और घी की बड़ी खपत है। हमारे देश की ऐसी बैलगाड़ियाँ और टट्टू यहाँ बहुत हैं। कनेर के फूल का पेड़, यूरोप में, सबसे पहले यहीं देख पड़ा। फूल खूब बड़े बड़े थे। बेलग्रेड नगर डोनाओ और सावा नदी के सड़क पर बसा है। यहाँ का क़िला प्राचीन और एक छोटे से पहाड़ पर बना हुआ है वहाँ के ‘प्रमानड’ पर से दोनों नदियाँ, उनका संगम, और दूसरे किनारे पर बसे हुए आस्ट्रिया के अंतर्गत सेमलिन नगर का दृश्य अत्यंत सुंदर रूप से देख पड़ता है। सेमलिन का स्थानीय नाम है जिमोनी। अब से पचास-साठ वर्ष पहले यूरोपियन यात्रियों को, यहाँ पहुंचने पर, विशेष सावधानी के साथ, ख़ास प्रबंध करके नदी उतरने के बाद तुर्क-सम्राज्य में प्रवेश करने का सौभाग्य प्राप्त होता था। इस नगर में प्लेग के भय से कड़ी जाँच का कड़ा प्रबंध था। सेमलिन में पहुँच कर यात्री लोग जब यूरोप से विदा होते हुए नदी-तट पर उपस्थित होते थे तब, उस समय, वह ज्ञानबाजी की यात्रा समझी जाती थी। इतने निकटवर्ती सेमलिन और बेलग्रेड इन दोनों नगरों में भी जाना-आना अत्यंत कठिन काम था। क्योंकि ऐसा करना तत्कालीन नियम के विरुद्ध था। जो कर्मचारी और मल्लाह खेवा पार करने का काम करते थे उनसे सेमलिन के लोग कोसों दूर रहना चाहते थे। उनके लिए नगर में आने की मनाही थी। एक अंग्रेज़ यात्री ने एशिया के प्रवेश द्वार बेलग्रेड की तत्कालीन व्यवस्था और पाशा वगैरह का जो वर्णन किया उसे पढने से मनोरंजन के साथ ही ज्ञान प्राप्त होता है। स्थानीय टोपजिडिरा पार्क में प्रिंस माइकल का स्मारक-स्तंभ है। सन 1868 की 10 वीं जून को यहाँ पर उनकी हत्या की गई थी। ‘गर्म और मोहल्ला’ शब्द यहाँ भी उसी अर्थ में प्रचलित है। होटल में कई दिन परवल भी खूब खाए। जैसा छोटा नगर है वैसे ही म्यूज़ियम आदि भी है। बल्कि कालेज वगैरह की संख्या नगर के देखते अधिक ही है। यहाँ कुछ अधिक एक लाख आदमी रहते हैं।

    सर्बिया-राज्य की साधारण अवस्था। राज्य बहुत ही छोटा—केवल 18760 वर्गमील का—हमारे देश के 8/10 जिलों के बराबर है। तीस लाख के लगभग आबादी होगी। यूरोप के अनेक देशों की अपेक्षा यहाँ की जन-संख्या शीघ्रता के साथ बढती जाती है। इस देश का जल-वायु सर्दियों में जैसा विषम रहता है वैसा ही या उससे भी अधिक बुरा गर्मियों में हो जाता है। सन 1882 से यहाँ पार्लियामेंट स्थापित हुई है। उसको स्थानीय भाषा में ‘स्कुपस्त्चिना’(Skupstchina) कहते हैं। प्रजा के चुने हुए 160 सभासद सब काम करतें हैं। सन 1912 में कुछ अधिक 45लाख पौंड राज-कर वसूल हुआ था और 21 करोड़ पौंड के ऊपर राज्य पर ऋण था। शांति के समय 18000 और युद्ध के समय एक लाख तक सेना का प्रबंध है। विशेष प्रयोजन पड़ने पर दो लाख तक जमा की जाती है। सन 1389 से बराबर टर्की की अधीनता मर रहने के उपरांत, रूस-टर्की-युद्ध होने पर, सन 1878 में, रूस की कृपा से इस राज्य ने स्वाधीनता पाई है। वर्तमान रजा पीटर को, सन 1903 की 15वीं अप्रैल को, प्रजा ने अपना राजा स्वीकार किया था। इनके पूर्ववर्ती राजा स्वीकार किया था। इनके पूर्ववर्ती राजा की माता नेटालिया अद्वितीय सुंदरी थीं। एक अंग्रेज़ यात्री ने लिखा है—The Kings appearance surprised me, that of his mother overwhelmed me. I had expected great beauty, but not such transcendent beauty as this. It is a beauty which no pencil has been able to produce, and which no pen could over hope to describe. She appeared most statuesquely, divine; who would not risk everything to gratify, her lightest whim?... अर्थात राजा को देख कर मैं चकित हो गया; किंतु उनकी माता का चेहरा देख कर तो मैं सन्नाटे में ही गया। यह अवश्य है कि मैं एक विशेष प्रकार का सौंदर्य देखने की आशा से गया था; लेकिन जैसा स्वर्गीय सौंदर्य देख पड़ा उसकी तो पहले मैं कल्पना भी नही कर पाया था। उस सौंदर्य की कोई चित्रकार चित्रित करके दिखा नहीं सकता, किसी की लेखनी उसका वर्णन नहीं कर सकती। जान पड़ता था,जैसे कोई स्वर्गीय चित्र सामने उपस्थित है उन्हें यथाशक्ति प्रसन्न करने के लिए कोई क्या नही कर सकता?’’

    नेटालिया के पुत्र अलक्जेंडर और उनकी रानी सन 1903 में विद्रोहियों के हाथ से मरे।

    इस देश के चाँदी के सिक्के का नाम है दीनार और कीमत में वह फ़्रांस के फ्रेंक के बराबर है। परंतु यह देश ‘लैटिन यूनियन’ के अधीन नही है। पैसे को पारा कहतें हैं। 100 पारा का एक दीनार भुनता है। यहाँ भी दाशमिक-प्रथा प्रचलित है

    स्रोत :
    • पुस्तक : भूप्रदक्षिणा (पृष्ठ 515)
    • रचनाकार : शिवप्रसाद गुप्त
    • प्रकाशन : द इंडियन प्रेस लिमिटेड इलाहाबाद
    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

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    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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