Font by Mehr Nastaliq Web

बुल्गारिया

bulgariya

शिवप्रसाद गुप्त

शिवप्रसाद गुप्त

बुल्गारिया

शिवप्रसाद गुप्त

और अधिकशिवप्रसाद गुप्त

    बेलग्रेड से रेल पर ‘सोफ़िया’ को रवाना हुआ। रास्ते में पिराट स्टेशन पर बल्गारिया का अधिकार आरंभ होने के कारण यात्रियों को गाड़ी पर से उतर कर अपना-अपना पासपोर्ट दिखाना पड़ा। मोहर करके पासपोर्ट फेर दिए गए। बुल्गारिया एक मामूली राज्य है, किंतु इस बारे में वहाँ ख़ूब कड़ाई की जाती है। सर्बिया में यह कुछ उपद्रव नहीं है।

    सोफ़िया! यह बुल्गारिया-राज्य की राजधानी है। यहाँ पहुँचने के पहले ही मुझे वही छप्पर के घर, सागपात की बेलें, ढेंकी, सराय, पायजामा, मिर्ज़ई, साफ़ा और छोटे-छोटे गाँव-पुरवे आदि अपने देश के ऐसे दृश्य देख पड़ने लगे। प्राचीन सर्डिका नगर की जगह पर सोफ़िया नगरी बसी है। कुस्तुंतुनिया बनने और बसने के पहले सम्राट कांसटंटाइन कहा करते थे कि ‘सार्डिका ही मेरा रोम है।’ इस समय एक लाख के ऊपर आदमी यहाँ बसते हैं। उनमें दस बारह हज़ार तुर्क, उनसे भी अधिक यहूदी, और एक हज़ार से अधिक ‘जिप्सी’ लोग रहते हैं। किसी समय यहाँ डेढ़ लाख आदमियों की बस्ती थी। रूस-टर्कीन युद्ध के बाद साल 1878 में बुल्गारिया तुर्कों के हाथ से निकल स्वतंत्र हो गई। तभी से यह नगर बुल्गारिया की राजधानी है। इस प्रदेश के शासक तुर्की पाशा लोगों ने भी इसी नगर को प्रधानता दी थी कई एक बाग़ और ‘मिनारेट’ से नगर की कुछ शोभा हो गई है। रास्तों में उतनी सफ़ाई नहीं है। गलियाँ टेढ़ी-मेढ़ी हैं। अधिकांश घर लकड़ी के बहुत ही मामूली ढंग के बने हुए हैं। नगर के बाहर चारों ओर उदास मरुभूमि का दृश्य देख पड़ता है। पूर्व बाज़ के उपनगर में राजमहल है। उसके बनने में चालीस लाख फ्रैंक लगे हैं। इसके पास ही नया यूरोपियन-मोहल्ला है। नगर में बहुत सी मस्जिदें हैं। बुयुक–जमी मस्जिद में 9 धातुओं का बना हुआ गुंबद शोभायमान है। सोफ़िया-मस्जिद, जो पहले ईसाइयों का गिरजा थी, भूकंप में गिर गई और वैसी हो पड़ी हुई है। एक भारी मकान में सर्वसाधारण के लिए हम्माम बना है। उसमें भिन्न-भिन्न धर्मावलंबियों के लिए अलग-अलग खंड बने हुए हैं। सन 1829 में तुर्क सूबेदार मुस्तफ़ा पाशा ने अलबानिया से आकर यहाँ ऐसी भयंकर लूटपाट और अत्याचार किया कि आज भी यहाँ के बच्चे ‘अलबेनियन’ का नाम सुनकर भय से सिटपिटा कर चुप हो जाते हैं लंदन में एक जगह इस अत्याचार के अनेकों दृश्य मोम की मूर्तियों के द्वारा ऐसे सजीव भाव से दिखलाए गए हैं कि देखते देखते आँखों से आँसू बहने लगते हैं बच्चों और माताओं में जैसी पशुओं की ऐसी निठुराई की गई है उसे सभ्य या असभ्य कोई नही जाति नहीं कर सकती। यहाँ गुलाब का बहुत अच्छा इत्र बनता है।

    फ़िलिप-पोली महान वीर अलेक्जेंडर के पिता फ़िलिप ने यह नगर बसाया था। इसका बलगेरियन नाम है प्लोविड़ो। टर्की वाले इसे ‘फिलिवी’ कहते हैं यह पूर्व-रुमेलिया प्रदेश का प्रधान नगर है। तुर्कों की अमलदारी में यहाँ एड्रियानोपुल का सूबेदार रहता था। रोमन समय में ट्रमानशियम नाम से यही नगर थे (Thrace) की राजधानी था इन्ही सब कारणों से इतिहास के साथ इसका विशेष संबंध है। नगर में 40000 के लगभग आदमी बसते हैं, उनमें अधिकांश मुसलमान हैं। स्टेशन से बाहर निकलते ही एक स्तंभ देख पड़ता है। बहुत लोग उसे राजा फ़िलिप के हाथ का बतलाते हैं। पास ही हरक्युलिस के मंदिर का भग्नावशेष हैं। ख़ास नगर और बड़े-बड़े मकान नदी से 100 फुट ऊँचे पूर्व ओर के मैदान में हैं। उस मैदान के निचले हिस्से में कई सुंदर बाग़ है।

    बुल्गारिया की साधारण अवस्था। सन 1878 में लिखे गए बर्लिन के संधि-पत्र द्वारा तुर्कों की देखरेख में इस छोटे से राज्य की स्थापना हुई है। सन 1885 के फ़िलिप-पोलीवाल ग़दर के बाद पूर्व-रुमेलिया भी इसमें मिला ली गई है। इस प्रदेश के लिए बुल्गारिया के राजा सुलतान को 1,38,200 पौंड वार्षिक कर देते थे सन 1908 में ‘कार’ उपाधि ग्रहण करके संपूर्ण स्वाधीन हो गए हैं। उनका नाम लिखा जाता है—(His Majesty Kar Ferdinend) यहाँ पार्लियामेंट को ‘सोब्राज्जी’ कहते हैं।

    युक्तराज्य (बुल्गारिया और पूर्व-रुमेलिया) का घेरा 38,562 वर्ग मील का है। हमारे यहाँ के 8/9 जिलों के बराबर होगा। यहाँ 43 1/6 लाख के लगभग प्रजा बसती है। सन 1911 में 67 1/5 लाख पौंड राज-कर में आए थे। राज्य का ख़र्च भी ठीक उतना ही हुआ। इस साल कुछ अधिक 2 1/6 करोड़ पौंड का ऋण राज्य के ऊपर था। यहाँ का सिक्का सर्बिया का ऐसा है। देश की ज़मीन ख़ूब उपजाऊ है। किंतु खोज और जाँच होने के कारण धरती की वैसी उन्नति नही हुई।

    स्रोत :
    • पुस्तक : भूप्रदक्षिणा (पृष्ठ 520)
    • रचनाकार : शिवप्रसाद गुप्त
    • प्रकाशन : द इंडियन प्रेस लिमिटेड इलाहाबाद
    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    जश्न-ए-रेख़्ता | 13-14-15 दिसम्बर 2024 - जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम, गेट नंबर 1, नई दिल्ली

    टिकट ख़रीदिए