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खँडहर पर कविताएँ

खँडहर का प्रचलित अर्थ

पुरानी इमारत का अवशेष या किसी ध्वस्त मकान का बचा-खुचा हिस्सा है। अवशेष और शेष बचे-खुचे के भाव में वक़्त, उम्र, जीवन के विभिन्न प्रतीकों में कविता इसका उपयोग करना जानती है।

खँडहर का पौधा

कीर्ति चौधरी

खँडहरों की छाँव

मनीषा कुलश्रेष्ठ

क़ुतुब के खँडहर

गिरिजाकुमार माथुर

चित्तौड़गढ़

हेमंत शेष

चरवाहे

कुमार मुकुल

रणथंभोर

हेमंत शेष

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