Font by Mehr Nastaliq Web

गर्व पर दोहे

गर्व वैसे तो नकारात्मक

और सकारात्मक दोनों ही अर्थों में अहंभाव को प्रकट करता है, लेकिन प्रस्तुत संचयन में इसके विविध आयामों से गुज़रा जा सकता है।

पूरन प्रेम प्रताप तै, उपजि परत गुरुमान।

ताकी छवि के छोभ सौं, कवि सो कहियत मान।

आन नारि के चिह्न तैं, लखि सुनि श्रवननि नाउ।

उपजि परत गुरुमान तहं, प्रीतम देखि सुभाउ॥

गिरिधर पुरोहित

संबंधित विषय

जश्न-ए-रेख़्ता | 13-14-15 दिसम्बर 2024 - जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम, गेट नंबर 1, नई दिल्ली

टिकट ख़रीदिए