Font by Mehr Nastaliq Web

कहानियाँ

कहानी गद्य की सर्वाधिक लोकप्रिय विधा है। यह मानव-सभ्यता के आरंभ से ही किसी न किसी रूप में विद्यमान रही है। भारतीय परंपरा में इसका मूल ‘कथा’ में है। आधुनिक संदर्भों में इसका अभिप्राय अँग्रेज़ी के ‘शॉर्ट स्टोरी मूवमेंट’ से प्रभावित कहानी-परंपरा से है। इसका मुख्य गुण यथार्थवादी दृष्टिकोण है। हिंदी में कहानी का आरंभ अनूदित कहानियों से हुआ, फिर ‘सरस्वती’ पत्रिका के प्रकाशन के साथ मौलिक कहानियों का प्रसार बढ़ा। हिंदी कहानी के विकास में प्रेमचंद का अप्रतिम योगदान माना जाता है। प्रेमचंदोत्तर युग में जैनेंद्र, यशपाल सरीखे कहानीकारों ने नई परंपराओं का विस्तार किया। स्वातंत्र्योत्तर युग में नए वादों, विमर्शों और आंदोलन के साथ हिंदी कहानी और समृद्ध हुई।

लोकप्रिय समकालीन बर्मी लेखिका। स्त्री और लिंग-विषयक विमर्श में योगदान के लिए उल्लेखनीय।

1969

नवें दशक में सामने आए हिंदी के महत्त्वपूर्ण कवि-कथाकार और पत्रकार। भारतभूषण अग्रवाल पुरस्कार से सम्मानित।

1962

सुपरिचित कहानीकार-पत्रकार। दो कहानी-संग्रह प्रकाशित। 'पिंटी का साबुन' कहानी के लिए चर्चित।

1958

सुपरिचित कथाकार। 'हंस' पत्रिका के संपादक।

1947

जनवादी-धारा के प्रमुख कथाकार। बाल-साहित्य के लिए भी उल्लेखनीय। साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित।

1923 -1954

सुपरिचित स्वीडिश लेखक और पत्रकार। अस्तित्ववादी लेखन के लिए उल्लेखनीय।

1881 -1942

ऑस्ट्रिया के सुप्रसिद्ध उपन्यासकार-नाटककार। विश्व के कुछ प्रमुख साहित्यकारों के जीवनीकार के रूप में भी उल्लेखनीय।

1896

प्रेमचंद-प्रसाद युग के कवि-कथाकार। ‘हार की जीत’ कहानी के लिए चर्चित।

1946

सुपरिचित कवयित्री और कथाकार। अनुवाद-कार्य और संपादन में भी सक्रिय।

1904 -1948

सुप्रसिद्ध कवयित्री। 'झाँसी की रानी' कविता के लिए स्मरणीय।

1947 -2019

आठवें दशक के महत्वपूर्ण कथाकार। कई पुस्तकें प्रकाशित।

1903 -1951

ईरान के प्रमुख लेखक, अनुवादक और विचारक। 'द ब्लाइंड आउल' उपन्यास के लिए प्रसिद्ध।

1926 -2014

सुप्रसिद्ध जर्मन उपन्यासकार, कथाकार और नाटककार। उनकी कृतियों पर बहुत-सी फ़िल्में बनी हैं।

1895 -1963

द्विवेदीयुगीन कवि। हिंदी की गांधीवादी राष्ट्रीय धारा के प्रतिनिधि कवि के रूप में समादृत।