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कहानियाँ

कहानी गद्य की सर्वाधिक लोकप्रिय विधा है। यह मानव-सभ्यता के आरंभ से ही किसी न किसी रूप में विद्यमान रही है। भारतीय परंपरा में इसका मूल ‘कथा’ में है। आधुनिक संदर्भों में इसका अभिप्राय अँग्रेज़ी के ‘शॉर्ट स्टोरी मूवमेंट’ से प्रभावित कहानी-परंपरा से है। इसका मुख्य गुण यथार्थवादी दृष्टिकोण है। हिंदी में कहानी का आरंभ अनूदित कहानियों से हुआ, फिर ‘सरस्वती’ पत्रिका के प्रकाशन के साथ मौलिक कहानियों का प्रसार बढ़ा। हिंदी कहानी के विकास में प्रेमचंद का अप्रतिम योगदान माना जाता है। प्रेमचंदोत्तर युग में जैनेंद्र, यशपाल सरीखे कहानीकारों ने नई परंपराओं का विस्तार किया। स्वातंत्र्योत्तर युग में नए वादों, विमर्शों और आंदोलन के साथ हिंदी कहानी और समृद्ध हुई।

1925 -2016

समादृत पाकिस्तानी कथाकार, उपन्यासकार और आलोचक। भारत में प्रेमचंद फ़ेलोशिप से सम्मानित।

1937

समानांतर कहानी आंदोलन के प्रमुख कहानीकार। संवेदात्मक कहानियों के लिए उल्लेखनीय।

1903 -1982

सुपरिचित उपन्यासकार, कहानीकार और निबंधकार। उपन्यासों में मनोवैज्ञानिक यथार्थवाद के प्रयोग लिए उल्लेखनीय।

1752 -1817

मीर तक़ी मीर के समकालीन शायर। गद्य में 'रानी केतकी की कहानी' के लिए उल्लेखित।

1934 -2001

समादृत कथाकार। अपने जनवादी कथा-साहित्य के लिए प्रतिष्ठित।

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