दिन सुहावना है और सूरज समतल पर फैला आराम कर रहा है। जल्दी ही घंटियाँ बजेंगी, क्योंकि आज इतवार है। एक जोड़ा गेहूँ के खेतों के बीच दो युवाओं ने ऐसी राह पाई है, जिस पर वे पहले कभी नहीं चले और मैदान के तीनों गाँवों की खिड़कियों के पल्ले चमक रहे हैं। किचेन टेबल पर लगे आइनों में मर्द दाढ़ी बनाते हैं और औरतें ब्रेड काटती हैं एवं कॉफ़ी बनाती हैं तथा बच्चे अपने जैकेट के बटन लगाते फ़र्श पर बैठे हैं। यह एक काले दिन की ख़ुशनुमा सुबह है, क्योंकि इस दिन तीसरे गाँव में एक ख़ुश आदमी के द्वारा एक बच्चे की हत्या होगी। अभी बच्चा फ़र्श पर बैठा है और अपनी जैकेट के बटन लगा रहा है और मर्द शेव करते हुए कहता है आज वे नदी में नौका विहार करेंगे और औरत धीमे सुर में गुनगुनाती है और ताज़ी कटी ब्रेड नीले रंग की प्लेट पर देती है।
रसोई पर कोई छाया नहीं पड़ रही है, फिर भी जो आदमी बच्चे को मारेगा वह पहले गाँव में एक लाल गैस पंप के पास खड़ा है। जो आदमी कैमरे से देख रहा है, वह ख़ुश है और काँच से उसे एक छोटी नीली कार दिखती है तथा कार की बग़ल में एक लड़की जो हँस रही है। जिस समय लड़की हँस रही है आदमी सुंदर तस्वीर लेता है, पंप का आदमी गैस टैंक का ढक्कन कसता है और कहता है उनका दिन अच्छा गुज़रे। लड़की कार में बैठ जाती है और जो आदमी बच्चे को मारने वाला है अपनी पॉकेट से अपना बटुआ निकालता है और कहता है कि वे समुद्र जाएँगे और एक नाव किराए पर लेंगे तथा दूर, बहुत दूर नाव लेकर जाएँगे। आदमी जो कह रहा है, उसे सामने की सीट पर बैठी लड़की खुली खिड़की से सुनती है, अपनी आँखें बंद करती है और जब वह ऐसा करती है वह समुद्र को और नाव में उस आदमी को अपनी बग़ल में देखती है। वह आदमी दुष्ट नहीं है, वह संतुष्ट और ख़ुश है और कार में बैठने के पहले वह एक क्षण के लिए रेडिएटर के सामने खड़ा होता है, जो सूरज की रौशनी में चमक रहा है और वह चमक, गैस की गंध और जंगली चेरी का मज़ा लेता है। कार के ऊपर कोई छाया नहीं है और चमकते बंपर पर कोई डेंट नहीं है और वह ख़ून से लाल नहीं है।
लेकिन उसी समय जब पहले गाँव में आदमी अपनी बाईं ओर का दरवाज़ा बंद करता है और कार स्टार्ट करता है, तीसरे गाँव में किचेन में औरत अपना कबर्ड खोलती है और पाती है कि चीनी नहीं है। बच्चा जिसने अभी-अभी अपनी जैकेट के बटन बंद किए हैं और जूतों के फीते बाँधे हैं, सोफ़े पर घुटनों के बल खड़ा पेड़ों के बीच से टेढ़ी-मेढ़ी बहती नदी तथा उसके तट की घास पर पड़ी काली छोटी नाव देख रहा है। मर्द जो अपना बच्चा खो देगा शेविंग ख़त्म कर चुका है और अपना आइना मोड़ रहा है। टेबल पर कॉफ़ी के कप हैं, ब्रेड, क्रीम और मक्खियाँ हैं। केवल चीनी की कमी है और माँ अपने बच्चे से कहती है वह लारसन के यहाँ दौड़कर जाए और चीनी के कुछ क्यूब्स उधार माँगकर ले आए। और जब बच्चा दरवाज़ा खोलता है मर्द पीछे से चिल्लाकर कहता है कि वह जल्दी आए, क्योंकि नाव किनारे पर इंतज़ार कर रही है और आज वे खे कर उतनी दूर जाएँगे, जितना पहले कभी नहीं गए। जब बच्चा बग़ीचे से दौड़ता है वह सारे समय नदी, नाव और मछली के बारे में सोचता है मछली जो तैर रही है और कोई उससे फुसफुसा कर नहीं कहता है कि उसके ज़िंदा रहने के केवल आठ मिनट और हैं और नाव सारे दिन वहीं बँधी रहेगी और बाद में कई दिनों तक।
लारसन का घर बहुत दूर नहीं हैं, मात्र सड़क के परली तरफ़ और जब बच्चा सड़क पार करता है नीली कार दूसरे गाँव में प्रवेश करती है। यह एक छोटा-सा गाँव है, छोटे-छोटे लाल घरों वाला जिसके लोग ताज़े सो कर उठे हैं और रसोइयों में अपनी कॉफ़ी के साथ बैठे हैं और झाड़ियों के पार से धूल का एक बड़ा ग़ुबार अपने पीछे छोड़ती कार जाती देखते हैं। कार बहुत तेज़ जा रही है और उसमें बैठा आदमी सेब के पेड़ देखता है, और ताज़े पुते टेलीफ़ोन के खंभों को भूरी छाया की भाँति पार होते देखता है। ग्रीष्म खिड़कियों से बहता है, वे गाँव से निकल आए, और सड़क के बीच से मज़े में जा रहे हैं, सुरक्षित और अकेले—अभी तक। चौड़ी, नरम सड़क पर अकेली कार ड्राइव करने में मज़ा आता है और समतल सड़क पर इसका मज़ा और बढ़ जाता है। आदमी ख़ुश है और गठा हुआ है और अपनी दाईं कोहनी से अपनी औरत के शरीर को छू रहा है। वह दुष्ट आदमी नहीं है। वह तेज़ी से समुद्र की ओर जा रहा है। वह एक चींटी को भी नुकसान नहीं पहुँचा सकता, पर जल्दी ही वह एक बच्चे की हत्या करेगा। जब वे तीसरे गाँव की ओर तेज़ी से चले लड़की ने पुनः अपनी आँखें बंद कीं और खेल खेलने लगी कि वह तब तक उन्हें नहीं खोलेगी, जब तक कि समुद्र न देख सकें और कार के मुलायम झटकों के ताल में स्वप्न देखने लगी कि यह कितना
सुकून भरा होगा।
जीवन की बुनावट इतनी बेपरवाह है कि एक ख़ुश आदमी एक बच्चे को मारने से एक मिनट पहले तक ख़ुश है और एक औरत भय से चीख़ने से एक मिनट पहले अपनी आँखें बंद किए समुद्र के स्वप्न देख सकती है और एक बच्चे के जीवन के अंतिम मिनट में उस बच्चे के माता-पिता किचेन में बैठे चीनी का इंतज़ार कर सकते हैं और अपने बच्चे के सफ़ेद दाँत के बारे में और नाव खेने के बारे में बातें कर सकते हैं और स्वयं बच्चा एक गेट बंद कर सकता है और अपने दाएं हाथ में सफ़ेद काग़ज़ में लिपटे चीनी के कुछ क्यूब्स लिए सड़क के उस तरफ़ चल सकता है और यह अंतिम पूरा एक मिनट वह कुछ और नहीं केवल चमकती नदी और मूक पतवारों के साथ चौड़ी नाव देखता है।
बाद में बहुत देर हो चुकी होती है। बाद में एक नीली कार सड़क पर खड़ी है और एक चीख़ती औरत अपने मुँह से अपना हाथ हटाती है, हाथ से ख़ून निकल रहा है। बाद में एक आदमी कार का दरवाज़ा खोलता है और सीधे खड़े होने की कोशिश करता है, हालाँकि उसके अंदर हौल हो गया है। बाद में चीनी के कुछ क्यूब्स ख़ून और बजरी में यूँ ही बिखरे पड़े हैं और बच्चा ज़मीन पर पड़ा है अपने पेट के बल, बिना हरकत के, चेहरा ज़मीन में धँसा हुआ। बाद में दो रक्तहीन चेहरे वाले लोग जिन्होंने अभी तक अपनी कॉफ़ी नहीं पी है, एक गेट के बाहर भागते हैं और रोड पर एक दृश्य देखते हैं, जो वे आजीवन भूल नहीं पाएँगे। क्योंकि यह सही नहीं है कि समय सब घावों को भरता है। समय एक मरे बच्चे के घाव नहीं भरता है और यह उस माँ के दर्द को शायद ही भरता है, जो चीनी ख़रीदना भूल गई थी और जिसने अपने बच्चे को सड़क पार थोड़ी-सी चीनी लेने भेजा और यह उतने ही लचर ढंग से उस कभी ख़ुश आदमी के संताप को भरता है, जिसने एक बच्चे को मारा है।
क्योंकि जिसने बच्चे को मारा है वह समुद्र नहीं जाता है। जिसने बच्चे को मारा है वह चुपचाप घर जाता है और उसके साथ हाथ पर पट्टी लपेटे एक चुप औरत है, जितने गाँवों में से वे गुजरते हैं, वहाँ उन्हें एक भी ख़ुश आदमी नहीं दिखाई देता है। सभी छायाएँ बड़ी काली हैं और जब वे दोनों अलग होते हैं तब भी वे चुप हैं और आदमी जिसने बच्चे की हत्या की है वह जानता है कि यह नीरवता उसकी दुश्मन है और उसे अपने जीवन के बरसों लग जाएँगे इसे हराने में, चिल्ला-चिल्लाकर यह कहने में कि यह उसकी ग़लती नहीं थी। लेकिन वह जानता है कि यह झूठ है। रातों को सपनों के स्थान पर वह मनौती माँगेगा कि उसका जीवन उल्टा चले, ताकि वह इस एक मिनट को बदल सके। लेकिन जिस आदमी ने बच्चे की हत्या की है, उसके प्रति ज़िंदगी इतनी बेपरवाह है कि सब चीज़ों के लिए इसके बाद अब देर हो चुकी है।
din suhavna hai aur suraj samtal par phaila aram kar raha hai. jaldi hi ghantiyan bajengi, kyonki aaj itvaar hai. ek joDa gehun ke kheton ke beech do yuvaon ne aisi raah pai hai, jis par ve pahle kabhi nahin chale aur maidan ke tinon ganvon ki khiDakiyon ke palle chamak rahe hain. kichen tebal par lage ainon mein mard daDhi banate hain aur aurten breD katti hain evan kaufi banati hain tatha bachche apne jaiket ke batan lagate farsh par baithe hain. ye ek kale din ki khushanuma subah hai, kyonki is din tisre gaanv mein ek khush adami ke dvara ek bachche
ki hatya hogi. abhi bachcha farsh par baitha hai aur apni jaiket ke batan laga raha hai aur mard shev karte hue kahta hai aaj ve nadi mein nauka vihar karenge aur aurat dhime sur mein gungunati hai aur tazi kati breD nile rang ki plet par deti hai.
rasoi par koi chhaya nahin paD rahi hai, phir bhi jo adami bachche ko marega wo pahle gaanv mein ek laal gais pamp ke paas khaDa hai. jo adami kaimre se dekh raha hai, wo khush hai aur kaanch se use ek chhoti nili kaar dikhti hai tatha kaar ki baghal mein ek laDki jo hans rahi hai. jis samay laDki hans rahi hai adami sundar tasvir leta hai, pamp ka adami gais taink ka Dhakkan kasta hai aur kahta hai unka din achchha guzre. laDki kaar mein baith jati hai aur jo adami bachche ko marne vala hai apni pauket se apna batua nikalta hai aur kahta hai ki ve samudr jayenge aur ek naav kiraye par lenge tatha door, bahut door naav lekar jayenge. adami jo kah raha hai, use samne ki seet par baithi laDki khuli khiDki se sunti hai, apni ankhen band karti hai aur jab wo aisa karti hai wo samudr ko aur naav mein us adami ko apni baghal mein dekhti hai. wo adami dusht nahin hai, wo santusht aur khush hai aur kaar mein baithne ke pahle wo ek kshan ke liye reDiyetar ke samne khaDa hota hai, jo suraj ki raushani mein chamak raha hai aur wo chamak, gais ki gandh aur jangli cheri ka maza leta hai. kaar ke uupar koi chhaya nahin hai aur chamakte bampar par koi Dent nahin hai aur wo khoon se laal nahin hai.
lekin usi samay jab pahle gaanv mein adami apni banii or ka darvaza band karta hai aur kaar staart karta hai, tisre gaanv mein kichen mein aurat apna kabarD kholti hai aur pati hai ki chini nahin hai. bachcha jisne abhi abhi apni jaiket ke batan band kiye hain aur juton ke phite bandhe hain, sofe par ghutnon ke bal khaDa peDon ke beech se teDhi meDhi bahti nadi tatha uske tat ki ghaas par paDi kali chhoti naav dekh raha hai. mard jo apna bachcha kho dega sheving khatam kar chuka hai aur apna aina moD raha hai. tebal par kaufi ke kap hain, breD, kreem aur makkhiyan hain. keval chini ki kami hai aur maan apne bachche se kahti hai wo larsan ke yahan dauDkar jaye aur chini ke kuch kyoobs udhaar mangakar le aaye. aur jab bachcha darvaza kholta hai mard pichhe se chillakar kahta hai ki wo jaldi aaye, kyonki naav kinare par intzaar kar rahi hai aur aaj ve terkar utni door jayenge, jitna pahle kabhi nahin ge. jab bachcha baghiche se dauDta hai wo sare samay nadi, naav aur machhli ke bare mein sochta hai machhli jo tair rahi hai aur koi usse phusphusa kar nahin kahta hai ki uske zinda rahne ke keval aath minat aur hain aur naav sare din vahin bandhi rahegi aur baad mein kai dinon tak.
larsan ka ghar bahut door nahin hain, maatr saDak ke parli tarfe aur jab bachcha saDak paar karta hai nili kaar dusre gaanv mein pravesh karti hai. ye ek chhota sa gaanv hai, chhote chhote laal gharon vala jiske log taze so kar uthe hain aur rasoiyon mein apni kaufi ke saath baithe hain aur jhaDiyon ke paar se dhool ka ek baDa ghubar apne pichhe chhoDti kaar jati dekhte hain. kaar bahut tez ja rahi hai aur usmen baitha adami seb ke peD dekhta hai, aur taze pute telifon ke khambhon ko bhuri chhaya ki bhanti paar hote dekhta hai. greeshm khiDakiyon se bahta hai, ve gaanv se nikal aaye, aur saDak ke beech se maze mein ja rahe hain, surakshit aur akele—abhi tak. chauDi, naram saDak par akeli kaar Draiv karne mein maza aata hai aur samtal saDak par iska maza aur baDh jata hai. adami khush hai aur gatha hua hai aur apni dahini kohni se apni aurat ke sharir ko chhu raha hai. wo dusht adami nahin hai. wo tezi se samudr ki or ja raha hai. wo ek chinti ko bhi nuksan nahin pahuncha sakta, par jaldi hi wo ek bachche ki hatya karega. jab ve tisre gaanv ki or tezi se chale laDki ne pun apni ankhen band keen aur khel khelne lagi ki wo tab tak unhen nahin kholegi, jab tak ki samudr na dekh saken aur kaar ke mulayam jhatkon ke taal mein svapn dekhne lagi ki ye kitna sakun bhara hoga.
jivan ki bunavat itni beparvah hai ki ek khush adami ek bachche ko marne se ek minat pahle tak khush hai aur ek aurat bhay se chikhne se ek minat pahle apni ankhen band kiye samudr ke svapn dekh sakti hai aur ek bachche ke jivan ke antim minat mein us bachche ke mata pita kichen mein baithe chini ka intzaar kar sakte hain aur apne bachche ke safed daant ke bare mein aur naav khene ke bare mein baten kar sakte hain aur svayan bachcha ek get band kar sakta hai aur apne dahine haath mein safed kaghaz mein lipte chini ke kuch kyoobs liye saDak ke us taraf chal sakta hai aur ye antim pura ek minat wo kuch aur nahin keval chamakti nadi aur mook patvaron ke saath chauDi naav dekhta hai.
baad mein bahut der ho chuki hoti hai. baad mein ek nili kaar saDak par khaDi hai aur ek chikhti aurat apne munh se apna haath hatati hai, haath se khoon nikal raha hai. baad mein ek adami kaar ka darvaza kholta hai aur sidhe khaDe hone ki koshish karta hai, halanki uske andar haul ho gaya hai. baad mein chini ke kuch kyoobs khoon aur bajri mein yoon hi bikhre paDe hain aur bachcha zamin par paDa hai apne pet ke bal, bina harkat ke, chehra zamin mein dhansa hua. baad mein do raktahin chehre vale log jinhonne abhi tak apni kaufi nahin pi hai, ek get ke bahar bhagte hain aur roD par ek drishya dekhte hain, jo ve ajivan bhool nahin payenge. kyonki ye sahi nahin hai ki samay sab ghavon ko bharta hai. samay ek mare bachche ke ghaav nahin bharta hai aur ye us maan ke dard ko shayad hi bharta hai, jo chini kharidna bhool gai thi aur jisne apne bachche ko saDak paar thoDi si chini lene bheja aur ye utne hi lachar Dhang se us kabhi khush adami ke santap ko bharta hai, jisne ek bachche ko mara hai.
kyonki jisne bachche ko mara hai wo samudr nahin jata hai. jisne bachche ko mara hai wo chupchap ghar jata hai aur uske saath haath par patti lapete ek chup aurat hai, jitne ganvon mein se ve gujarte hain, vahan unhen ek bhi khush adami nahin dikhai deta hai. sabhi chhayayen baDi kali hain aur jab ve donon alag hote hain tab bhi ve chup hain aur adami jisne bachcha ki hatya ki hai wo janta hai ki ye niravta uski dushman hai aur use apne jivan ke barson lag jayenge ise harane mein, chilla chillakar ye kahne mein ki ye uski galti nahin thi. lekin wo janta hai ki ye jhooth hai. raton ko sapnon ke sthaan par wo manauti mangega ki uska jivan ulta chale, taki wo is ek minat ko badal sake. lekin jis adami ne bachche ki hatya ki hai, uske prati zindagi itni beparvah hai ki sab chizon ke liye iske baad ab der ho chuki hai.
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स्रोत :
पुस्तक : विश्व की श्रेष्ठ कहानियाँ (खण्ड-2) (पृष्ठ 77)
हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी
‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।