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रात भर बिलखते-चिंघाड़ते रहे

raat bhar bilakhte chinghaDte rahe

रामेश बेदी

रामेश बेदी

रात भर बिलखते-चिंघाड़ते रहे

रामेश बेदी

और अधिकरामेश बेदी

    नोट

    प्रस्तुत पाठ एनसीईआरटी की कक्षा पाँचवी के पाठ्यक्रम में शामिल है।

    हिंदवी

    उड़ीसा राज्य के सिम्प्लीपाल टाइगर रिज़र्व में पच्चीस हाथियों का झुंड रहता था। इस झुंड में कुछ धुई भी थीं। जिन हथिनियों के साथ दुधमुँहे बच्चे हों उन्हें धुई कहते हैं। दाँव लगे तो हाथी के छोटे बच्चे को शेर मार लेता है। झुंड के बड़े दतैल और बड़ी हथिनियाँ बच्चों की रक्षा करती हैं।

    सर्दियों में जब घास कम हो जाती है तो हाथियों के बडे झुंड को जंगल के एक खंड में काफ़ी खाना नहीं मिलता। वे छोटी टोलियों में बँट कर अलग-अलग वनखंडों में चरने चले जाते हैं।

    1988 के दिसंबर महीने का पहला सप्ताह गुज़र रहा था। उन दिनों सिम्प्लीपाल जंगलों के हाथी दो टोलियों में बँट कर बाराकमारा-तिनाधिया सड़क के साथ चौड़े में चर रहे थे।

    एक धुई दो साल का बच्चा था। झुंड में सबसे छोटा यही था। वह माँ का दूध चूँसता था।

    इस बच्चे ने जंगल की घास-पत्ती को मुँह लगाना शुरू कर दिया था। झाड़ियो, पेड़ों और पगडंडियों को जानने-पहिचानने की स्वाभाविक इच्छा उसमें पैदा हो चुकी थी। एक सुबह वह अपनी टोली से ज़रा अलग होकर नाले की तरफ़ जा रहा था। रात का दौरा लगाने के बाद इस इलाक़े का शेर वहीं सो रहा था। वह बच्चे पर झपट पड़ा। बच्चा चिंघाड़ा, उसकी चिंघाड़ सुन कर सभी हाथी उसे बचाने दौड़े। बड़े हाथियों के सामने शेर नहीं टिका। उसे छोड़कर नाले में चला गया।

    शेर का हमला इतना ज़ोरदार था कि कुछ ही क्षणों में उसने बच्चे को बुरी तरह ज़ख़्मी कर दिया। सबसे बड़ा घाव सिर पर था। सयाने हाथी उसे ऊपरी बाराकमारा में रेंजर ऑफ़िस के सामने ले गए। जंगल के जानवरों की देखभाल और रक्षा करना, रेंज ऑफ़िसर की ज़िम्मेदारी होती है। उसके दफ़्तर के सामने पहुँचकर हाथी मानो अपने को सुरक्षित अनुभव कर रहे थे।

    कुछ देर बाद आधे हाथी चरने चले गए। बाक़ी हाथी ज़ख़्मी बच्चे की निगरानी में वहीं डटे रहे। उसकी माँ सूँड में घास का पूला उठाकर चँवर डुलाती रही जिससे घाव पर मक्खियाँ न बैठें। उसकी आँखों से आँसुओं की धारा टपक रही थी। बच्चा इतना ज़ख़्मी हो गया था कि दूध नहीं चूँघ सकता था। जंगल में जानवरों के छोटे-मोटे घाव प्रकृति ख़ुद ठीक कर दिया करती है। पर इस बच्चे के घाव जानलेवा थे। अगले दिन उसने दम तोड़ दिया।

    मरने की ख़बर मिलते ही चरने के लिए गए हुए हाथी लौट आए। रेज़र ऑफ़िस के सामने सभी शोक सभा में शामिल हो गए। शव को घेरकर सारी रात वहीं खड़े रहे। उनकी आँखों आँसू बहाती रहीं। वे चिंघाड़ते, रोते और बिलखते रहे।      

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    रामेश बेदी

    रामेश बेदी

    स्रोत :
    • पुस्तक : रिमझिम (पृष्ठ 126)
    • रचनाकार : रामेश बेदी
    • प्रकाशन : एनसीईआरटी
    • संस्करण : 2022
    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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