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यों संसार फूल सेमर को
यों संसार फूल सेमर को, बूर-बूर उड़ जावे।चार दिनां की मिली कोठरी, बेमतलब पोमावे।
सैन भगत
ख़्वाजादास के पद
तुम्हरी आस फूल गूलर कै मन हरिना डरपहु रेनाहिं कछू, हम कटि-लड़ि मरबों पाछे जनि आवहु रे
मृत्युंजय
स्यामाजू के सरन जे सुख न सिराने
सींचत अंड आम की आसा फूल फलै न पिछाने।दरसत परसत खात न जानत आँखि अछत अँधराने॥
बिहारिनिदेव
तरह-तरह के आसन करके
तरह-तरह के आसन करके दिलवर-ध्यान लगावैं हैं।भेदि सुषुम्ना नाड़ी-मारग माथे प्रान चढ़ावैं हैं॥
ललितकिशोरी
झूलत राधा-मोहन कालिंदी के कूल
झूलत राधा-मोहन कालिंदी के कूल।सघन-लता सुहावनी चहुं दिसि फूले फूल॥
नंददास
आज कुहू की रात माधौ
कहत जसोदा सुनो मन मोहन चंदन लेप सरीर करो।पान फूल चोवा दिव्य अंवर मार मिला लै कंठ धरो॥
परमानंद दास
आये मेरे नंदनंदन के प्यारे
आये मेरे नंदनंदन के प्यारे।माला तिलक मनोहर बानो, त्रिभुवन के उँजियारे॥
परमानंद दास
विठ्ठलनाथ अनाथ के तारन
विठ्ठलनाथ अनाथ के तारन।श्रीवल्लभ-गृह प्रगट रूप यह धरयो भक्त हितकारन॥
चतुर्भुजदास
वारों मीन खंजन आली के
सेत असित कटाछन तारे उपमा को मृग न कंजन।परमानंद प्रभु कर लीने प्यारी जु के मन के रंजन॥
परमानंद दास
निरखत अंक स्यामसुंदर के
हरि के लाड़ गनति नहि काहू निसिदिन सुदिन रासरसमाती।प्राननाथ तुम कब धौं मिलोगे सूरदास प्रभु बालसँघाती॥