आये मेरे नंदनंदन के प्यारे
aaye mere nandnandan ke pyare
आये मेरे नंदनंदन के प्यारे।
माला तिलक मनोहर बानो, त्रिभुवन के उँजियारे॥
प्रेम समेत बसत मन-मोहन, नैकहुँ टरत न टारे।
हृदय-कमल के मध्य विराजत, श्रीब्रजराज-दुलारे॥
कहा जानौ कौन पुन्य प्रकट भयौ, मेरे घर जो पधारे।
‘परमानंद' प्रभु करी निछावरि, बार-बार हो वारे॥
- पुस्तक : ब्रजमाधुरी सार (पृष्ठ 143)
- रचनाकार : परमानंददास
- प्रकाशन : हिंदी साहित्य सम्मेलन, प्रयाग
- संस्करण : 2002
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