आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "shishu ki dekhbhal ebooks"
Pad के संबंधित परिणाम "shishu ki dekhbhal ebooks"
पद-83
मिली कहाँ वह ख़ुशी कि जिसमें सद्यजात शिशु गाएरुकी कहाँ वेदना प्रसव की कि कुतिया मुस्काए
अष्टभुजा शुक्ल
इंद्र हू की असवारी
बादरन की फ़ौजें छाईं बूँदन की तीरा कारी॥दामिनी की रंजक, तामैं ओले-गोले तोप छुटत,
बैजू
सरस्वती वंदना
अरबिंद पुष्प कि मीन अक्षसु प्रचल षंजन पेखियं।सारंग शिशु दृग सरिस सुंदर रेह अंजन रेखियं॥
मान कवि
झूलै कुँवरि गोपराइन की
झूलै कुँवरि गोपराइन की। मधि राधा सुंदरि-सुकुमारि॥प्रथमहि रितु पावस आरम्भ। श्रीवृषभानु मँगाये खंभ॥
गदाधर भट्ट
मंगल आरति प्रिया प्रीतम की
जुगलप्रिया
ब्रज की नारी डोल झुलावैं
ब्रज की नारी डोल झुलावैं।सुख निरखत मन मैं सचु पावें मधुर-मधुर कल गावैं॥
नंददास
संगत साधुन की करिये
संगत साधुन की करिये, कपटी लोगन सों डरिये।कौन नफा दुरजन की संगत, हाय-हाय करि मरिये॥
निपट निरंजन
ब्रज की बीथिन निपट सांकरी
ब्रज की बीथिन निपट सांकरी॥यह भली रीति गाऊं गोकुल की जितही चलीए तितहिबां करी॥